Social Media प्लेटफॉर्म भारतीय भाषाओं के लिए केंद्रीय संस्थान (सीआईआईएल) के साथ सहयोग कर रहा है. ताकि, सभी भाषाओं में कंटेंट मॉडरेशन को मजबूत किया जा सके
आज हमारी भागती दौडती जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है इन्टरनेट, सोशल मीडिया,भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी इंटरनेट पर खुद को निर्भर पाता है और इसके लिए उन्हें इस सोशल मीडिया को सही तरीके से समझने की ज़रूरत है. इसके साथ ही सोशल मीडिया को यूजर्स के आने, कंटेंट बनाने और इस्तेमाल करने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने की भी ज़रूरत है, जो अपने आप में बड़ा ही इंट्रेस्टिंग और एनोवेटीव होगा
Koo App की कंटेंट मॉडरेशन नीतियों को मजबूत करने और यूजर्स को ऑनलाइन सुरक्षित रहने में मदद करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित CIIL संयुक्त रूप से काम करेगा. यह इंस्टीट्यूट 22 आधिकारिक भारतीय भाषाओं में आपत्तिजनक या संवेदनशील माने जाने वाले शब्दों का एक कोष तैयार करेगा. इसके बदले में Koo App यह कोष बनाने के लिए जरूरी डेटा मुहैया करेगा, और इंटरफेस बनाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा जो आम लोगों तक पहुंच के लिए बनने वाले इस कोष की मेजबानी करेगा. यह जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए एक दीर्घकालिक सहयोग है और भारतीय सोशल मीडिया इको सिस्टम में अपनी तरह की पहली शुरुआत है.
इस कड़ी में भारत के बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo App की होल्डिंग कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज (सीआईआईएल) के साथ एक समझौता (एमओयू) किया है. यह समझौता एक पारदर्शी और अनुकूल इको सिस्टम के निर्माण के साथ-साथ भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन दुर्व्यवहार, बदमाशी और आपत्तिजनक और अश्लील वाक्यांशों के इस्तेमाल को सीमित करने की दिशा में काम करेगा.
आत्म-अभिव्यक्ति के लिए एक समावेशी मंच के रूप में Koo App के इस्तेमाल को प्राथमिकता दी गई है वर्तमान में 10 भारतीय भाषाओं में अपनी बेहतरीन सुविधाएं प्रदान करता है.
हम सभी जानते हैं सोशल मीडिया के यूजर्स तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं, जिसके मद्देनज़र सभी भाषाओं में कंटेंट मॉडरेशन को मजबूत किया जा सकेगा, इंटरनेट कनेक्टिविटी (Internet Connectivity) और मजबूत बुनियादी ढांचे के चलते भारत (India) में Koo App को अहम् स्थान दिया जा रहा है
इस समझौते के अंतर्गत Koo App खासकर सोशल मीडिया पर मूल भाषाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के तर्क, व्याकरण और संदर्भ की गहरी और सूक्ष्म समझ विकसित करने के साथ ही ऑनलाइन बदमाशी और विवाद का संभावित कारण बनने वाले आपत्तिजनक शब्दों और वाक्यांशों की पहचान करने में मदद करेगा. यह यूजर्स को उनसे जुड़ी भाषाओं में ज़्यादा अच्छा कंटेंट क्यूरेट करने में सहायता करेगा और इस प्रकार भारत के अग्रणी बहुभाषी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में Koo की स्थिति को मज़बूत करता है आज, भारत में करीब 45 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स हैं, जिनमें डिजिटल (Digital) को अच्छे ढंग से समझने वालों के साथ ही वो यूज़र्स भी शामिल हैं जो पहली बार और अपनी पसंद की भाषा में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं..
Social Media सिखाएगा भारतीय भाषओं का सम्मान करना ऑनलाइन दुर्व्यवहार, बदमाशी और आपत्तिजनक और अश्लील वाक्यांशों के इस्तेमाल को सीमित करने की दिशा में तेज़ी से काम करेगा