डिंडोरी. ये कहानी है डिडोंरी जिले में बियाबान जंगलों के बीच सिलपिड़ी गांव में रहने वाली बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई की ज़िद और जुनून की. उसने विलुप्त हो रहे मिलेट क्राप्स (मोटा अनाज) को संरक्षित करने के लिये अपना सबकुछ समर्पण कर दिया. कभी स्कूल की दहलीज़ पर कदम तक न रखने वाली लहरी बाई अपने कच्चे घर में बीज बैंक बना लिया है. अब उनकी इतनी ख्याति है कि यूएनओ यानि संयुक्त राष्ट्र संघ तक उनका नाम पहुंच चुका है.
लहरी बाई अनपढ़ हैं. लेकिन मोटे अनाज के संरक्षण के प्रति उनकी जागरुकता ग़जब की है. बीज बैंक बनाने की बात तो बड़े बड़े पढ़े लिखे लोगों और अफसरों तक के दिमाग में नहीं आयी. मिलेट क्राप्स का बीज बैंक बनाने के लिये लहरी बाई ने दस साल तक कई गाँव की ख़ाक छानी है. तब कहीं जाकर उसने क़रीब 25 प्रकार के मिलेट क्राप्स बीज का संग्रहण किया है. मिलेट क्राप्स मोटे अनाज वाली फसलों को कहा जाता है जिसमें
कलेक्टर खुद पहुंचे झोपड़े में विलुप्त बीज उपलब्ध
लहरी बाई न सिर्फ अपने गांव बल्कि आसपास के दर्जनों गाँवों में घूम घूमकर लोगों को मिलेट क्रॉप्स के फ़ायदे बताती हैं. साथ ही उन्हें निशुल्क बीज भी मुहैया कराती हैं. मिलेट क्राप्स के संरक्षण और संवर्धन को लेकर लहरी बाई के प्रयासों की जानकारी जैसे ही डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा को लगी तो कलेक्टर साहब एक दिन अचानक लहरी बाई के घर पहुंच गये और उनसे बात की. फिर लहरी बाई को कलेक्ट्रेट में बुलाकर सभी अधिकारियों की मौजूदगी में सम्मानित कर उसका हौंसला बढ़ाया.
कलेक्टर विकास मिश्रा ने लहरी बाई के काम की तारीफ़ करते हुए बताया कि अनूठे बीज बैंक में ऐसे ऐसे बीज उपलब्ध हैं जो विलुप्त हो चुके हैं. साथ ही कलेक्टर ने बताया कि इंटरनेशनल मिलेट ईयर की सूची में डिंडोरी जिले का नाम शामिल है. लहरी बाई इंटरनेशनल मिलेट ईयर सम्मान के लिए डिंडोरी जिले का चेहरा हैं
उन दो में से एक कमरे को उसने बीज बैंक बना लिया है. अब बचे हुए एक छोटे से कमरे में ही लहरी बाई अपने बुजुर्ग माता पिता के साथ रहती हैं. माता पिता की सेवा की ख़ातिर लहरी बाई ने अबतक शादी नहीं की है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान के लिये ग्राम पंचायत के कई चक्कर भी लगाए लेकिन पात्र होने के बाद भी उसे आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका. मकान देने का आश्वासन दिया है.
कच्चे घर में दुर्लभ बीज का जतन कितनी बारीकी और दिमाग लगा कर किया है जो पढ़े लिखे लोग भी नही कर सकते वाकई ये काबिले तारीफ है लहरी बाई ने हालाँकि कलेक्टर विकास मिश्रा ने लहरी बाई को जल्द आवास योजना के तहत पक्का मकान का वादा किया है
तस्वीरों में देख सकते हैं लहरी बाई ने अपने टूटे फूटे कच्चे मकान के छोटे से कमरे में मिलेट क्रॉप्स को किस सलीके से बचा कर रखा है. मिट्टी से बनी कोठियों में बीज का भंडार है. दीवारों में पोल के सहारे तरह तरह के मिलेट क्राप्स को सजाकर सुरक्षित रखा हुआ है. कलेक्टर से सम्मानित होकर लहरी बाई बेहद खुश और उत्साहित नज़र आ रही हैं