हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (WORLD PRESS FREEDOM DAY) हमें उन पत्रकारों की याद दिलाता है जो सच्चाई को सामने लाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। चाहे वो युद्ध की आग हो डिजिटल ट्रोलिंग का दबाव या कॉरपोरेट्स का कंट्रोल या सरकारों का बढ़ता दबाव, पत्रकार आज कई मोर्चों पर जूझ रहे हैं। ये दिन न सिर्फ उनकी हिम्मत को बताने का है बल्कि उन खतरों को भी उजागर करता है जो पत्रकारिता के दौरान उन्हें जूझना पड़ता है। आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर इस आर्टिकल में आइए जानें कि 2025 में पत्रकारिता क्यों लोकतंत्र की रीढ़ है और भारत समेत दुनिया में इसके सामने क्या-क्या चुनौतियां हैं।
