

दिन क्रमशः बीतते जाते हैं। धीरे-धीरे सारे जग के दर्शन होने लगते। पर सब कुछ दिखाने वाले ,अचानक सब कुछ छोड़कर किसी अनंत ऊर्जा में मिल जाते हैं।
मेरे एक मित्र ने बताया कि,कहते हैं चंद्रमा के दक्षिण भाग में पितरों का स्थान होता है।
आज ही भारतीय चंद्रयान ‘विक्रम’ ने चंद्रमा के दक्षिण भाग को सफलतापूर्वक छुआ है। कुछ सोचकर धड़कने बढ़ती सी लगती हैं। शायद ‘विक्रम’ को हमारे पितर कुछ न कुछ देंगे या बताएंगे। वो, उन्ही का कोई संदेश लेकर लौटेगा।

आज सातवां चांद दिवस है। यानी छटी के चांद का ठीक दूसरा दिन। शायद वैज्ञानिकों के लिए तो ‘विक्रम’ उपयोगी भौतिक आंकड़े देगा। पर मेरा विश्वास है कि, हम सबके लिए हमारे पितरों के मन की कोई छूटी हुई बात विक्रम बताएगा। शायद अब मैं उन्हें संतुष्ट कर पाऊं।
