“जीते जी उसने सबको खुशियों का सबब दिया, मंज़र यूँ था के उसकी मौत पर, किसी के ज़मीर को रोने ना दिया”
एक बार फिर मानवता को शर्मशार करने वाला एक मामला सामने आया है। रायपुर कर्चुलियान के सरकारी अस्पताल में मृत वृद्धा के शव को उनकी बेटियों व बहुओं को चारपाई पर लेकर घर जाना पड़ा। अस्पताल से शव वाहन नहीं मिला तो मजबूरी में उन्हें पांच किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ा। न तो अस्पताल प्रबंधन ने उनकी सुध ली और न रास्ते से गुजरने वाले वाहन चालकों ने कोई मदद की। रायपुर कर्चुलियान स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को महसुआ गांव निवासी 80 वर्षीय मोलिया केवट की मौत हो गई थी। महिलाओं ने बताया कि उन्होंने शव वाहन की मांग की थी, लेकिन यहां पदस्थ कर्मचारियों ने कह दिया कि अस्पताल में शव वाहन की व्यवस्था नहीं है। जब वाहन नहीं मिला तो चारपाई पर शव रखकर पैदल घर के लिए चल पड़ीं
राहगीरों की मुस्तैदी ने इस वायरल VIDEO को आम जन जन तक पहोंचाने में मदद की तब जाकर स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाल निज़ामी और अंदरूनी इलाकों की दर्दंनाक तस्वीर का सजीव नज़ारा देखने मिला ।
चारों बेटियां के कांधे पर बुजुर्ग मां की लाश खाट पर लादकर 5KM दूर, दर्द को सीने में समेटे अपने घर पहोंचना ..ऐसे दर्दनाक मंज़र को किस भाषा में परिभाषित किया जाये ये नामुमकिन है समाज में ऐसे हादसे बदस्तूर यह सवालिया निशान का शिकार बनते जा रहे है ….किसके पास है इन सवालों के जवाब …..?
प्रदेश की बदहाल हेल्थ सिस्टम की ये दलील है की…
जिला मुख्यालय में सिर्फ रेडक्रॉस शव वाहन देता है
स्वास्थ्य विभाग के एक बड़े अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि जिला मुख्यालय में सिर्फ रेडक्रॉस शव वाहन देता है। बाकी जगहों पर शव वाहन की व्यवस्था नहीं है।
सिर्फ मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है।
मौत के बाद अपने स्तर पर लाश ले जानी पड़ती है।