विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने माता कौशल्या महोत्सव को सम्बोधित किया..

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इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रदेश के विभिन्न मानस मंडलियों को प्रशस्ति पत्र, राजकीय गमछा और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सम्मानित मानस मंडलियों में वीणा वादिनी मानस मंडली भाटापारा, हरिदर्शन मानस मंडली जांजगीर-चांपा और ज्ञान गंगा मानस मंडली दंतेवाड़ा शामिल हैं।

माता कौशल्या महोत्सव में शामिल होने आए रामनामी समुदाय के रामभक्तों को भी विधानसभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने सम्मानित किया।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत माता कौशल्या महोत्सव को कर रहे हैं सम्बोधित, कहा – हमारी सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। चन्दखुरी का नाम भी अब देश-विदेशों में जाना जा रहा है। जीवन का प्रत्येक क्षण राम से जुड़ा है। हमारी दिनचर्या में सुबह से शाम तक राम का नाम लेने की परंपरा है।

राम सर्वव्यापी हैं: डॉ. चरणदास महंत ने कहा मर्यादा पुरूषोत्तम राम सर्वव्यापी हैं।

कौशल्या महोत्सव के दूसरे दिन चंदखुरी में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि भगवान श्री राम सर्वव्यापी हैं। वे हम सबके मन और तन में समाए है। तुलसीदास और वाल्मीकि जी की रचनाओं में श्रीराम का विस्तार से वर्णन मिलता है।

विधानसभा अध्यक्ष ने माता कौशल्या महोत्सव को किया सम्बोधित

डॉ. महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति, परम्परा और धरोहर को पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है। कौशल्या माता के धाम चन्दखुरी को अब देश-विदेश में जाना जा रहा है इसके लिए मुख्यमंत्री बघेल और संस्कृति विभाग बधाई के पात्र हैं।

श्री महंत ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री बघेल की सरकार के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की विलुप्त होती संस्कृति को सहेजने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम का ननिहाल और माता कौशल्या की नगरी चन्दखुरी में जहां देश का एकमात्र कौशल्या माता का मंदिर है, जिसे राष्ट्रीय एवं अतर्राष्ट्रीय पटल पर रखने का काम किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रामायण और मानस मंडली प्रतियोगिता के माध्यम से राम नाम को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया गया है। एक विशेष पहल के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से मानस मंडली के कलाकारों को विदेशों में प्रस्तुति के लिए एमओयू भी किया है। इसके जरिए छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को विदेशों में भी पहचान मिलेगी।

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