सह-अस्तित्व के सम्मान पर आधारित भारत का जीवन दर्शन है : जीओ और जीने दो और इस दर्शन यानी फ़िलॉसफ़ी का जीता-जागता उदहारण है महाराष्ट्र में उप-ज़िला मुख्यालय मोहोल से 24 किलोमीटर दूर और ज़िला मुख्यालय सोलापुर से 69 किलोमीटर दूर स्थित गाँव शेतपाल . 3 हज़ार 89 हेक्टेयर में बसे इस गाँव की ख़ासियत है कि , यहाँ लोग ज़हरीले सापों के साथ रहने और उनके साथ खेलने के आदि हैं .
इस गाँव में सर्पों की भरमार होने के बावजूद आज तक उनके द्वारा किसी ग्रामवासी को काटे जाने की कोई घटना नहीं घटी है . यहाँ बड़ों को ही नहीं बल्कि छोटे बच्चों को भी घातक सर्पों के साथ खेलते हुए देखा जा सकता है . कई बार तो ये सांप स्थानीय स्कूल में भी दिख जाते हैं लेकिन यहाँ के बच्चों को इनसे भय नहीं लगता .यहाँ के लोगों में सापों के प्रति बहुत सम्मान और प्रेम है इसी लिए यहाँ के घरों में इनकी आवाजाही बेरोकटोक है . यहाँ के लोग अपने घर का कोई एक कोना सांप के लिए ख़ाली छोड़ देते है ताकि कोई सांप जब चाहे तब , वहां आकर शांति से विश्राम कर सके . यही नहीं यहाँ के लोग जब अपने लिए कोई नया घर बनाते हैं तो सांप के लिए एक बिल या कोना ज़रूर छोड़ देते हैं जिसे ग्रामवासी देवस्थानम कहते हैं .
भारत में नागपंचमी का त्यौहार तो साँपों के प्रति प्रेम और श्रद्धा प्रदर्शित करने का पर्व है . दरअसल इसके पीछे दर्शन यही है कि श्रृष्टि का प्रत्येक प्राणी महत्वपूर्ण है और इस प्रकृति में उसकी कोई न कोई उपयोगिता अथवा भूमिका तय है सहस्तित्व के सिद्धांत की बात करें तो इसका सबसे सुन्दर उदहारण है भगवान् शिव का परिवार . शिव जी की सवारी है नंदी और माता अम्बे की सवारी है सिंह दोनों ही एक दूजे के शत्रु हैं .
शिव जी के गले में नाग लिपटा रहता है और नाग का शत्रु है मोर जो शिव-पार्वती पुत्र कार्तिकेय का वाहन है .