रायपुर, 21 जुलाई 2025/ छत्तीसगढ़ में जल्द ही मछली पालन के क्षेत्र में एक नये युग की शुरूआत होने जा रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रयासों से केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के कोरबा जिले में हसदेव बांगो डुबान जलाशय में पहला एक्वा पार्क स्थापित होने जा रहा है। इसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत केन्द्र सरकार से 37 करोड़ 10 लाख रूपए से अधिक की राशि स्वीकृत हो चुकी हैं। यह एक्वा पार्क एतमा नगर और सतरेंगा क्षेत्र में फैलें सैकड़ों एकड़ डुबान जलाशय में विकसित होगा। इस एक्वा पार्क विकसित हो जाने से राज्य में मछली पालन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होगा।

एतमा नगर के इस प्रोसेसिंग यूनिट से हटकर सतरेंगा में एक्वा म्यूजियम बनेगा। पहले ही सतरेंगा पर्यटन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का प्रमुख वाटर बॉडी है। एक्वा म्यूजियम बन जाने से विभिन्न प्रकार की मछलियों को पर्यटकों की जानकारी के लिए यहां रखा जाएगा।

कोरबा जिले के हसदेव बांगो जलाशय के डुबान क्षेत्र में विकसित होने वाले इस एक्वा पार्क में दो तरह की सुविधाएं होंगी। एतमा नगर में फीड मिल, फिश प्रोेसेसिंग प्लांट, हेचरी और रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम स्थापित होगा। वहीं सतरेंगा में एक्वा टूरिजम को बढ़ाने के लिए म्यूजियम और अन्य सुविधा विकसित की जाएंगी। एतमा नगर में मछलियों के उत्पादन से लेकर उनकी प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के साथ-साथ उन्हें विदेशों में एक्सपोर्ट करने तक की सुविधा विकसित होगी। हेचरियों में मछलियों के बीज उत्पादन से लेकर फीड मिल में पूरक पोषक आहार भी यहीं बनेगा। फिश प्रोसेसिंग प्लांट में मछलियों की सफाई, हड्डियां हटाकर फिले बनाना और उसे उच्च स्तरीय गुणवत्ता वाले पैकेजिंग सिस्टम से पैक कर विदेशों में निर्यात करने की पूरी व्यवस्था यहां की जाएगी।
एक्वा पार्क बनने से प्रदेश में मछली व्यवसाय को मिलेगी नई दिशा – मुख्यमंत्री श्री साय

इस एक्वा पार्क की स्वीकृति मिलने पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य के मछली पालकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि इस एक्वा पार्क से न केवल मछली पालन की नई उन्नत तकनीकें लोगों तक पहुंचेंगी, बल्कि प्रोसेसिंग-पैकेजिंग यूनिट से छत्तीसगढ़ के मछली व्यवसाय को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की तिलपिया मछली की विदेशों में बहुत मांग है और इस एक्वा पार्क में इस मछली के उत्पादन से छत्तीसगढ़ के मछली पालकों के लिए अब सात समुन्दर पार भी व्यापार के द्वार खुलेंगे। उन्होंने एक्वा पार्क की स्थापना को मछली पालन के क्षेत्र में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने वाला निर्णय बताया है।
अभी लगभग 800 केज में हो रहा मछली उत्पादन, 160 से अधिक मछुआरें उठा रहे लाभ
हसदेव बांगो जलाशय के डुबान क्षेत्र में वर्तमान समय में लगभग 800 केज लगे हैं। जहां मछली पालन विभाग के अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में लगभग 9 मछुआ समितियों के 160 सदस्य मछली पालन कर रहे हैं। उन्हें पांच-पांच केज आबंटित किए गए हैं। केज कल्चर से इन सदस्यों को औसतन 90 हजार रूपए सालाना शुद्ध आमदनी मिल रही है। मछुआ समिति के सदस्य श्री दीपक राम मांझीवार, श्री अमर सिंह मांझीवार और श्रीमती देवमति उइके ने बताया कि केज कल्चर से उन्हें न केवल रोजगार मिला है, बल्कि मछलियों का उत्पादन बढ़ जाने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। इस क्षेत्र में हर साल लगभग 1600 मेट्रिक टन मछली का उत्पादन हो रहा है। केज कल्चर से मछली पालन में 70 से 80 लोग सीधे तौर पर रोजगार पा रहे हैं, वहीं 20 से 25 पैगारों-चिल्हर विक्रेताओं को बेचने के लिए हर दिन मछली मिल रही हैं। यहां मछली पालन के विशेषज्ञों और विभागीय अधिकारियों ने ग्रामीणों को उन्नत तकनीकों से प्रशिक्षित किया है। हसदेव बांगो डुबान केज कल्चर में मुख्यतः तिलपिया और पंगास मछली का उत्पादन किया जा रहा है। तिलपिया प्रजाति की मछली की अमेरिका में विशेष मांग है और इसका सीमित मात्रा में अभी निर्यात किया जा रहा है। एक्वा पार्क स्थापित कर इस मछली का उत्पादन बढ़ाकर अमेरिका सहित दूसरे यूरोपीय देशों में भी इसका निर्यात बढ़ाने की योजना है। इस मछली का निर्यात बढ़ने से बड़ी संख्या में स्थानीय स्तर पर ग्रामीणजन इस व्यवसाय से जुडे़ंगे और उनकी आमदनी बढ़ने से क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।