वेटरन प्लेयर कमला दुबे उम्र के इस पड़ाव में भी मेडलों का रखतीं हैं उम्मीद

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जगदलपुर का डोकरीघाट पारा_विशेष रिपोर्ट

आज राष्ट्रीय खेल दिवस है के इस बेहतरीन मौके पर हम उन्हें कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने समाज में एक लाजवाब मिसाल कायम की है, अमूमन लोग जीवन के किसी भी पड़ाव में उम्मीदों को पर देतें हैं तो आपकों सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। जिंदगी के 72वें बसंत देख चुकीं मास्टर वेटरन प्लेयर कमला दुबे ने नियमित अभ्यास और खेलों के प्रति समर्पण से सबके लिए एक आदर्श बन चुकीं हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर उनके जीवन से जुड़ी खास रिपोर्ट।

युवा अवस्था से ही खेलों के प्रति समर्पित रहीं कमला दुबे करीब 3 दशकों से खेलों के प्रति अपना सर्वत्र न्यौछावर कर दी हैं

देश विदेश में आयोजित मास्टर वेटरन अब तक करीब 380 से अधिक मेडल्स जीत चुकीं हैं। उन्होंने बताया कि 72 वर्ष के इस आयु में भी वे नियमित अभ्यास करती हैं और उनका दिनचर्या भी संतुलित होता है। जिसके कारण वे लगातार सफल हो रही हैं।

अपने बीते हुए पलों को याद करते हुए कहा कि पति के निधन के बाद एक अंधकार सा हो गया था लेकिन उस अंधेरे से निकलने के लिए उन्होंने उम्मीदों को दीये को जलाए रखा और सकारात्मकता के साथ खेलों में जुटी रही।

जगदलपुर के डोकरीघाट पारा में रहने वाली कमला दुबे की दो बेटियां हैं। जो उन्हें हमेशा प्रेरित करती रहती हैं। करीब पांच वर्ष पहले श्रीलंका में आयोजत अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में 7 मेडल जीते थे जो अपने आप में एक रिकार्ड है।

वेटरन खिलाड़ियों को नहीं मिलता मदद अंतर्राष्ट्रीय वेटरन खिलाड़ी कमला दुबे को इस बात का दुख है कि वेटरन स्पर्धाओं के लिए कोई मदद नहीं मिलता और खुद के खर्चे पर ही खिलाड़ियों को स्पर्धाओं में हिस्सा लेना होता है। देश में वेटरन प्लेयर को लेकर कोई ठोस नीति भी नहीं है जिसके कारण आयोजनों को प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है। इन खेलों के लेकर केन्द्र व राज्य की सरकारों को ठोस नीति बनानी चाहिए।

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