ग़ज़ल- एक नाज़ुक कोशिश
बदला-बदला आपका व्यवहार क्यूँ है,प्यार है तो होंठ पर इंकार क्यूँ है। प्यार की गलियों में घूमो साथ मेरे,ये झिझक-सी…
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बदला-बदला आपका व्यवहार क्यूँ है,प्यार है तो होंठ पर इंकार क्यूँ है। प्यार की गलियों में घूमो साथ मेरे,ये झिझक-सी…