
कबीर ऐसे महान चिंतक, समाज सुधारक एवं संप्रेषक थे जिन्होंने युगों-युगों की संचेतना को जागृत कर दिया। मतों- मतांतरों के भेद, रूढ़ियों और कर्मकांडों के कट्टर विरोधी कबीर मानवीय संवेदनाओं की कोमल वाणी थे। हिंदू मुसलमान के द्वंद की खाई को पाटने वाले एकता के ओजस्वी संवाहक कबीर आज भी करोड़ों ह्रदयों में धड़कते हैं। सद्गुरु की वाणी में समूचे मानवीय मूल्यों का भाष्य है। लहरतारा का मंगलगान कबीर शाश्वत हैं। संसार के ऐसे सहयात्री हैं जो प्रेम और सद्भाव का पथ बताते हैं। सही मायनों में कबीर सत्यान्वेषी हैं इसलिए झूठ पर कड़ा प्रहार करते हैं। मौलिकता, निर्भीकता, स्पष्टता और आत्मविश्वास कबीर के ओज में है। इसलिए कहते हैं, पंडित मुल्ला जो लिख दिया, छांड़ि चले हम कछु न लिया। विषमता और अंधविश्वास के खिलाफ कबीर स्वयं में एक आंदोलन थे।
