(Chhattisgarh) में पारंपरिक हरेली तिहार (Hareli Tihar) त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल भी हरेली त्योहार के दिन कई तरह के आयोजन किया जाने हैं. जिसे लेकर सीएम हाउस को सजाया गया है, साथ ही राज्य के गौठनों को सजाया जा रहा है. हरेली के दिन गौठानों में छत्तीसगढ़ी खेल गेड़ी दौड़, फुगड़ी ,भौंरा और रस्साकशी का आयोजन किया जाता है. साथ ही गौठानों में छत्तीसगढ़ी व्यंजन की भी पूरी व्यवस्था होगी. इसके लिए गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक ने सभी कलेक्टरों और संभागायुक्तों को पत्र लिखा है.दरअसल छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. यहां की आबादी खेती किसानी पर
खेती किसानी की शुरुआत के साथ हरेली तिहार मानने की परंपरा है. इस साल 28 जुलाई को छत्तीसगढ़ में हरेली त्योहार मनाया जा रहा है. इसके पीछे राज्य सरकार की मंशा छत्तीसगढ़ के लोगों को अपनी परंपरा और संस्कृति से जोड़ना है, ताकि लोग छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला-संस्कृति, तीज-त्योहार और परंपराओं पर गर्व महसूस कर सकें.
पारंपरिक व्यंजन बनाने की भी होगी प्रतियोगिता।
कृषि विभाग गौठान में हरेली तिहार के आयोजना की तैयारी में जुट गया है. इस त्योहार में बड़ी संख्या में ग्रामीण हिस्सा लेंगे. इसके लिए गौठानों में गेड़ी दौड़, कुर्सी दौड़, फुगड़ी, रस्साकशी, भौंरा, नारियल फेंक जैसे प्रतियोगिताएं कराई जाएंगी. इसके अलावा छत्तीसगढ़ी पारंपरिक व्यंजन बनाने की भी स्पर्धाएं होंगी. इसमें राज्य की प्रमुख व्यंजन चीला, बड़ा, सोहारी, गुलगुला भजिया बनाई जाएगी.
हरेली त्यौहार की परम्पराएं
हरेली त्यौहार एक कृषि त्यौहार है को छत्तीसगढ़ राज्य में ग्रामीण किसानों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है| इस लोकप्रिय त्यौहार का नाम हरेली, हिंदी के शब्द “हरियाली” से आया है| श्रावण माह में भारत में मॉनसून आया रहता है जिसके कारण बारिश होने से चारों तरफ हरियाली होती है| इस समय किसान लोग अपनी अच्छी फसल की कामना करते हुए कुल देवता एवं ग्राम देवता की पूजा करते हैं| इस दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के किसान अपने उपकरणों की पूजा करते हैं| हरियाली और प्रकृति से जुड़े इस हरेली त्यौहार के दिन किसान अच्छी और भरपूर फसल की कामना करते हैं| हरेली त्यौहार के दौरान लोग अपने-अपने खेतों में भेलवा के पेड़ की डाली लगाते हैं| इसी के साथ घरों के प्रवेश द्वार पर नीम के पेड़ की शाखाएं भी लगाई जाती हैं|