उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बारे में जानकारी दी. बिरजू महराज का अंतिम संस्कार दिल्ली में लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा. हालांकि अभी समय तय नहीं है.
2016 में बाजीराव मस्तानी के ‘मोहे रंग दो लाल’ गाने की कोरियाग्राफी के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था.
रायपुर: लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था. इनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था. ये कथक नर्तक होने के साथ साथ शास्त्रीय गायक भी थे. बिरजू महाराज के पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज भी मशहूर कथक नर्तक थे. बिरजू महाराज ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों के लिए डांस कोरियोग्राफ किया था. इसके अलावा इन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में म्यूजिक भी दिया था.
यह शास्त्रीय कत्थक नृत्य के लखनऊ कालिका बिना बिंदादीन घराने के अग्रणी नर्तक है। पंडित जी कथक नाटकों के महाराज परिवार के वंशज है जिसमें कई प्रमुख विभूतियों में इनके दो चाचा और ताऊ शंभूमहाराज और लच्छु महाराज तथा उनके खुद के पिता और गुरु महाराज भी आते हैं। लेकिन इनका पहला जुड़ाव नृत्य से ही है। फिर भी इनकी हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन पर भी अच्छी पकड़ है और ये एक अच्छे शास्त्रीय गायक भी है। उन्होंने कथक नृत्य में नए आयाम नृत्य नाटिकाओं को छोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। इन्होंने कथक के लिए ‘कलाश्रम’ की स्थापना भी की है। इसके अलावा उन्होंने विश्व भ्रमण कार्यक्रम करने के साथ-साथ कत्थक शिक्षार्थियों के लिए सैकड़ों कार्यशाला भी आयोजित किया।
22 वर्ष की अल्पायु में आपको केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। बिरजू महाराज को मध्य प्रदेश सरकार ने उनके शास्त्रीय नृत्य के लिए वर्ष 1986 का कालिदास सम्मान प्रदान किया गया। 24 फरवरी, 2000 को उन्हें प्रतिष्ठित संगम कला पुरस्कार पुरस्कृत किया गया। तो आइए आज इस आर्टिकल में हम आपको बिरजू महाराज की जीवनीनहीं रहें बिरजू महाराज 83 साल की उम्र में निधन हार्ट अटैक से निधन
बिरजू महाराज को 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही इन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास