तहज़ीब,अदब,सलाहियत,सेवा,फ़िक्र,मर्म,यकीन,विश्वास, और एहसास की जीती जागती मिसाल,ना एलोपैथी, ना होम्योपैथी, प्रदेश की जनता मांगे सैम्पैथी..

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CM बघेल ‘भेंट-मुलाकात’ के नाम से सघन दौरा करके गांव-गांव तक पहुंच रहे हैं। गांव में पहुंचकर सरकारी व्यवस्थाओं का औचक निरीक्षण कर दोषी अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ जहां एक ओर कड़ी कार्यवाही कर रहे हैं, वहीं लोगों की शिकायत सुनकर उन्हें यथासंभव मौके पर मदद भी कर रहे हैं। वोह कहते हैं मेरे अन्नदाता खुश हैं, खुशहाल हैं, इस बात की मुझे बहुत खुशी है

आमजन मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर बेहद खुश है और उम्मीद से भरे हैं

आपका बैंक आपके द्वार या आपकी सरकार आपके द्वार, ग्राम सुराज अभियान जैसे बहुत से नामों के साथ शासन-प्रशासन ने गांव में पहुंचने की कोशिश की है। यह एक तरह से सरकारी मशीनरी को गेयरअप करने की कवायद है। प्रशासन का भय नीचे स्तर तक बना रहे और दूरस्थ अंचल में बड़े नागरिकों को भी एहसास होने लगा कि सरकार को वाकई हमारी चिंता है

cm बघेल जमीनी तौर पर जनता के दुख-दर्द पूछने भरी दोपहर में गांव-गांव पहुंच रहे है और जनता के तमाम तरह के सवालों के जवाब के साथ साथ उनका हल निकल के दे रहे हैं cm बघेल जमीनी नेता होने के साथ साथ एक कद्दावर शख्शियत भी हैं हैं। वे जनता की नब्ज, उसकी समस्या, जरूरतों को बखूबी समझते हैं। वे हवा-हवाई नेता नहीं है जो चुनाव आने की प्रतीक्षा करें। हमेशा जल, जंगल, जमीन की चिंता करके आम आदमी को कैसे राहत मिले, यह सतत प्रयास उनकी ओर से रहता है।

किस की तलाश है हमें, किस के असर में हैं, जब से चले हैं, घर से मुसलसल सफ़र में हैं

वक्त और हालत के मददेनज़र फैसला लेने वाले मुखिया भूपेश बघेल को लेकर इंटरनेट पर तरह तरह के पाजीटिव मिम्स भी बनाये जा रहे हैं कही उन्हें नायक फिल्म के अनिल कपूर की तरह ऑन द स्पॉट फैसला लेने वाला मुख्यमंत्री बताया जा रहा है। तो कहीं बड़ी घोषणा के लिए धन्यवाद किया जा रहा है

चले थे जिस की तरफ़ वो निशान ख़त्म हुआ, सफ़र अधूरा रहा आसमान ख़त्म हुआ

भेंट-मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता को विकास कार्यों की सौगात बेहिसाब सौगात अपने इस कार्यक्रम के तहत देने से नहीं चूक रहे हैं। cm राजनीति से जुड़े हर दौरे से अलग है, क्योंकि इस दौरे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल न सिर्फ जनता की समस्याएं सुन रहे हैं बल्कि लोगो के बीच शामिल होकर उन्हें इस बात का एहसास करवा रहे हैं कि, वो भी उन्ही में से एक ज़मीन से जुड़े व्यक्ति है

मेरी तक़दीर में मंज़िल नहीं है, ग़ुबार-ए-कारवाँ है और मैं हूँ

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