“ग़ज़ल इशारों में बात करती हैं गर वो बोल दे, तो ग़ज़ल,ग़ज़ल ना रहे”

“मौज में बंजारा” के लेखक, कवि शकील जमाली ने द एहसास वूमेन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम लफ़्ज़ के दौरान कहा।…

जब भूख की शिद्दत होती है, तब ही भोजन के स्वाद का ज़ायका लिया जा सकता है, ठीक उसी तरह जब हम अकेले होते हैं, तब ही सच्चे लोगों का साथ और उनके प्यार की अहमियत का बखूबी अंदाज़ा हो पाता है 💐💐

‘लोग सोचते है.. ज़िन्दगी की हक़ीक़त को समझना मुश्किल है आप जिस तराजू पर दुसरो को तौलते हैं, उस पर…