ग़ज़ल- एक नाज़ुक कोशिश
बदला-बदला आपका व्यवहार क्यूँ है,प्यार है तो होंठ पर इंकार क्यूँ है। प्यार की गलियों में घूमो साथ मेरे,ये झिझक-सी…
fourthpillars.com
बदला-बदला आपका व्यवहार क्यूँ है,प्यार है तो होंठ पर इंकार क्यूँ है। प्यार की गलियों में घूमो साथ मेरे,ये झिझक-सी…
“मौज में बंजारा” के लेखक, कवि शकील जमाली ने द एहसास वूमेन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम लफ़्ज़ के दौरान कहा।…
‘लोग सोचते है.. ज़िन्दगी की हक़ीक़त को समझना मुश्किल है आप जिस तराजू पर दुसरो को तौलते हैं, उस पर…