पक्षी, जीवन का अहम हिस्सा होते हैं, इन्हें बचाने की हर संभव, और हर स्तर पर कोशिश की जानी चाहिए। इस विचार को समाज के हर तबके तक पहुंचाया जाना भी जरूरी है। वाटर बर्ड की प्रजातियों की गणना कार्यक्रम प्रतिवर्ष होता आया है जिसमें केवल जलीय पक्षियों की प्रवासी एवं आवासीय प्रजातियां शामिल की जाती हैं। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, मोहम्मद अकबर के निर्देशानुसार प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी एवं सदस्य सचिव श्री अरुण पांडेय के मार्गदर्शन में 12 फरवरी को वन विभाग बिलासपुर द्वारा कोपरा जलाशय में एक दिवसीय एशियन वाटर बर्ड सेंसस का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में वाटर बर्ड की प्रजातियों की गणना कर, ऑनलाइन ई-बर्ड ऐप के माध्यम से सफलतापूर्वक पक्षियों की गणना एवं प्रजातियों के प्रकार को लिखा गया। यह कार्यक्रम सुबह 7 बजे से 10 बजे तक चला, जिसमें
रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, किंगफिशर की 2 प्रजातियां, कॉरमोरेंट, लिटिल ग्रीब, फेरुजीनियास बदख, जैसी 115 वाटर बर्ड्स की प्रजातियां देखने को मिली। जो अपने आप में बेहद रोमाँच से भरा कार्यक्रम होता है । एशियन वाटर बर्ड गणना कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश में आयोजित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में श्री अरुण भरोस के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में बिलासपुर वन विभाग से वन मंडलाधिकारी श्री कुमार निशांत, अचानकमार अमरकंटक बायोस्फियर रिजर्व के वन मंडलाधिकारी श्री विष्णु नायर मुख्य रूप से उपस्थित थे। साथ ही गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से शोधार्थी प्रतिभागी फरगस मार्क एंथोनी, श्री आलोक चन्द्राकर, सुश्री आकृति ताम्रकर, डॉ. हिमांशु गुप्ता ने भी अपना विशेष योगदान दिया तथा सर्वश्री यश निर्मलकर, अभिजीत शर्मा आदि प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया ।
आइये आपको बताते हैं राष्ट्रिय स्तर पर पक्षियों की गणना किस प्रकार की गई
अधिक संख्या के प्रमुख पांंच पक्षी
- लिटिल कोर्मोरेन्ट (1266)
- बार हेडेड गूज ( 679 )
- नोर्दन शोवलर ( 562)
- ग्रेट कोर्मोरेन्ट (503)
- काॅमन टील (286)
अन्य प्रमुख पक्षी
- इंडियन कोर्मोरेन्ट (146)
- ब्लैक बिग्ड स्टिल्ट (146)
- पर्पल स्वैम्प हैन (123)
- वेगटेल (75)
- ग्रेट व्हाइट पेलिकन (67)
- टैमिनिक स्टिंट (65)
प्रवासी पक्षियों को विकास की आधुनिक तकनीकों से खतरे बढ़े हैं, परंतु विकास की इस गति को बेरोक-टोक जारी रखते हुए हमें प्रवासी स्थानीय पक्षियों को बचाना चाहिए ताकि सतत विकास का मूल मंत्र सार्थक हो सके। झील, तालाब, और नदियों को को वेटलैंड घोषित करने का आग्रह किया गया ताकि स्थानीय प्रवासी पक्षियों को अनुकूल वातावरण मिल सके। क्योंकि पक्षी प्रकृति का खास हिस्सा हैं वे पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण में अपना बहुमूल्य योगदान करते हैं।