किसी ज़माने में कहा जाता था कि , खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे ख़राब , पढोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब …लेकिन अब इस जुमले का अर्थ बदल गया है.
दरअसल खेलने कूदने वाले बच्चे , खेल को अपना प्रोफ़ेशन बना कर अपना भविष्य सुनहरा बना रहे हैं और अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर रहे हैं .
ऐसे ही प्रतिभाशाली बच्चों की खेल प्रतिभा को संवारने का काम कर रही है मुम्बई स्थित अँधेरी फ़ुटबॉल एकेडेमी जिसके नेतृत्व में 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों की एक फ़ुटबॉल टीम विगत 10 मई को थाईलैंड के 6 दिवसीय दौरे पर गयी थी जिसने थाईलैंड में , भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए , 6 देशों के बच्चों की अंडर-10 की टीमों के साथ फ़ुटबॉल के मैचों में भाग लिया
इस प्रतियोगिता का नाम है “इंटरनैशनल थाईलैंड फ़ुटबॉल टूर्नामेंट” जो थाईलैंड के चोनबुरी में संपन्न हुई .
अँधेरी फ़ुटबॉल एकेडेमी विगत 20 वर्षों से सक्रिय है और 2008 से एकेडेमी भारत के बाहर अपनी टीम भेज रही है . एकेडमी की अंडर-10 की टीमें इससे पहले इंग्लैण्ड , डेनमार्क और फ़्रांस में आयोजित फ़ुटबॉल प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी हैं .
थाईलैंड में आयोजित इस प्रतियोगिता में भारत के अलावा थाईलैंड ,चीन ,वियतनाम ,जापान की टीमों ने भाग लिया .
थाईलैंड जाने वाली अंडर-10 की इस टीम के कोच थे मलय सेनगुप्ता . टीम में शामिल कुछ बच्चों के नाम हैं आर्या , इवान अश्विन , सुमित , अमय और आरव . क़द में सबसे छोटे नज़र आने वाले इवान अश्विन से जब 4th पिलर्स की सिनियर रिपोर्टर शीरीन सिद्दीक़ी ने बात की तो लगा इस छोटे पटाख़े ने खेल के मैदान में अपने खेल से ज़रूर बड़ा धमाका किया होगा .
इस होनहार खिलाड़ी की माँ प्राची प्रकाश ने 4th पिलर्स को बताया कि इवान 2 साल की उम्र से फ़ुटबॉल खेल रहा है और उसने अँधेरी फ़ुटबॉल एकेडेमी से प्रशिक्षण लिया है .
जब वो 6 साल का था तो पहली बार भारत के लिए फ़्रांस खेलने गया था . थाईलैंड में संपन्न फ़ुटबॉल प्रतियोगिता में इवान बेस्ट डिफेंडर की ट्रॉफ़ी जीत कर लाया है . भारतीय ट्रैक और फील्ड की रानी” के रूप में प्रसिद्द 4 स्वर्ण और 7 रजत पदक विजेता पी.टी.उषा ने इवान अश्विन को बधाई और आशीर्वाद दिया
जैसा कि हम सभी जानते हैं पूरी दुनिया में फ़ुटबॉल एक बहुत ही लोकप्रिय खेल है . जिसमें शोहरत और दौलत दोनों हैं .पेले ,डिएगो मैराडोना , लियोनेल मैसी ,क्रिस्टियानो रोनाल्डो , जोहान क्रूफ्फी ,जिनेदिन जिदान ,रोनाल्डो नाज़ारियो अतर्राष्ट्रीय फ़ुटबॉल जगत के नामी खिलाड़ी हैं . भारत में 1937 में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ यानी एआईएफएफ का गठन किया गया था . 1951 से 1962 के कालखण्ड को भारतीय फुटबॉल का स्वर्ण युग माना जाता है भारतीय कोच सैय्यद अब्दुल रहीम के प्रशिक्षण में भारतीय टीम ने अपने आप को एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीम बन कर दिखाया था .
4th पिलर्स डेस्क