14 मार्च विश्व किडनी दिवस पर दिल की तरह, किडनी का भी ख्याल रखें

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14 मार्च विश्व किडनी दिवस पर विशेष आलेख

कल्पना करें कि शहर के सभी सफाई कर्मचारी कुछ दिन के लिए हड़ताल पर चले गए, तो देखते ही देखते पूरा शहर गंदगी और बीमारियों से घिर जाएगा। उसी तरह अगर किडनी खराब हो जाएं तो जीना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन गुर्दे केवल सफाईकर्मीयों से कहीं अधिक बढ़चढ़कर स्मार्ट हैं; खून से गंदगी साफ करने के अलावा ये हीमोग्लोबिन भी बनाए रखते हैं ताकि खून की कमी न हो।

ये रक्तचाप सामान्य बनाए रखते हैं और इसीलिए किडनी खराब होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है । किडनी हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। बदन में पानी और नमक की मात्रा सामान्य बनाए रखने में भी किडनी अहम रोल अदा करते हैं

किडनी के बिमारीयों के कारण क्या हैं? बच्चों और बुजुर्गों में किडनी खराब होने का खतरा अधिक होता है। कुछ बच्चों में पेशाब मूत्रनली द्वारा बाहर निकलने के बजाय किडनी में वापस जाती है और किडनी खराब करती है । इसे रिफ्लक्स नेफ्रोपेथी कहते हैं ।

उच्च रक्तचाप और मधुमेह गुर्दे की क्षति के प्रमुख कारण हैं। गर्म जलवायु के कारण हमारे क्षेत्र में गुर्दे की पथरी भी किडनी खराब करती है ।

किडनी को हलके में न ले किडनी को शरीर का सफाईकर्मी कहा जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि किसी भी रूप में तम्बाकू (गुटखा, पाउच, खर्रा और धूम्रपान), शराब, खाने की गलत आदतें और व्यायाम की कमी जैसे व्यसनों के साथ दोषपूर्ण जीवन शैली के कारण हम अनजाने में किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। अधिक मोटापा भी किडनी को नुकसान पहुंचाता है। दर्द निवारक दवाएं और धातु लवण युक्त दवाएं संभावित जहर हैं जो किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।

गर्भावस्था या गर्भपात के दौरान और उसके तुरंत बाद महिलाओं को किडनी खराब होने का खतरा रहता है

लगभग 35-40% मामलों में हमें गुर्दे की बीमारी का कारण नहीं पता होता है। उचित पेयजल की व्यवस्था के बिना अत्याधिक तापमान में काम करने वाले खेतिहर मजदूरों को किडनी खराब होने का खतरा होता है।

कीटनाशकों और कुंओं या बोरवेल के कठोर जल का उपयोग गुर्दे की ऐसी क्षति का कारण हो सकती है। शरीर में पर्याप्त पानी की कमी से किडनी खराब होती हैं । ऐसा गरम वातावरण या दस्त की बिमारी में होता है। नवजात शिशु और प्रौढ़ व्यक्ति इसके शिकार आसानी से होते हैं ।

किडनी के बिमारीयों के लक्षण अक्सर चोर की तरह सामने आती है।

बेवजह थकान, हड्डियों में दर्द, अनियमित मासिक धर्म, बांझपन, सेक्स रुचि की कमी, मतली, उल्टी, पेशाब में झाग आना, पैरों में सूजन और चेहरे पर सूजन, खुजली, ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

किडनी की बिमारी का कैसे पता लगाएं?

सरल, सस्ते मूत्र और रक्त परीक्षण से गुर्दे की क्षति का पता चल सकता है। मूत्र में थोड़ी मात्रा में प्रोटीन की उपस्थिति भी गुर्दे की बीमारी की भविष्यवाणी कर सकती है। पेट की सोनोग्राफी अगला कदम हो सकता है। सोनोग्राफि में किडनी का आकार और अन्य बिमारीयों का पता चलता है । उच्च रक्तचाप गुर्दे की बीमारी का कारण और परिणाम दोनों है। एनीमिया यानि रक्ताल्पता , रक्तचाप या मधुमेह से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को गुर्दे की बीमारी की जांच अवश्य करानी चाहिए। गुर्दे की विफलता के अंतिम चरणों में डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा सकता है, दोनों विकल्प अब व्यापक रूप से उपलब्ध हैं। लेकिन तब तक इंतजार क्यों किया जाए, बिमारी का रोकथाम बिमारी के इलाज से बेहतर तरीका है।

गुर्दे की बीमारी को कैसे रोकें ?

मोटापे से बचें, दर्द निवारक दवाओं को डॉक्टर की सलाह से ही लें। रक्तचाप और ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखें और पर्याप्त पानी पियें। गर्भवती महिलाएं गर्भ के दौरान सोनोग्राफि करवाएं ताकि गर्भ में पल रहे भ्रूण में किडनी तथा अन्य बिमारीओं का पता जन्म के पहले ही मालूम हो जाए। जिन्हें किडनी के पथरी की बिमारी हो वे हर छः महीने में किडनी का चेक अप करवाएं। अक्सर किडनी की पथरी किडनी को धीरे धीरे खराब कर देती हैं और मरीज को तब मालूम पड़ता है जब बिमारी बहुत आगे तक निकल जाती है । खेती करने वाले किसान और अत्याधिक शारीरिक कार्य करने वाले मजदूर अधिक से अधिक पानी पिएं।

आइए इस खास मौके पर आप भी कसरत से पानी पिएं अपने घर में तमाम आने जाने वाले अतिथि को भी कोल्ड ड्रिंक की जगह पानी पिलाएं।

  • साभार
  • डॉ. शिवनारायण आचार्य
    किडनी रोग विशेषज्ञ, नागपुर (महाराष्ट्र)

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