हमास इज़रायल युद्ध

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जो गाज़ा पट्टी पिछले कई दिनों से मानव संहार ,विध्वंस और गोला बारूद के धमाके झेल रही है वो पहले से विवादित और रक्तरंजित रही है . सिनाई प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्व में भूमध्य सागर के साथ लगा 363 वर्ग किमी का क्षेत्र ग़ाज़ा पट्टी कहलाता है जो इज़रायल अधिकृत इलाक़े के दक्षिण पच्छिम में स्थित है .इसके दक्षिण भाग में मिस्र है और पच्छिम में भूमध्य सागर जिसकी जल सीमा पर इज़रायल का नियंत्रण है . 7 अक्टूबर को शुरू हुए , इज़रायल और हमास के बीच जारी युद्ध को दो हफ़्ते से अधिक का समय हो चुका है , शुरुआत हमास ने की थी .हमास ने 7 अक्टूबर की सुबह इज़रायल पर 3,000 रॉकेटों से हमला किया था और साथ ही हमास के लड़ाकुओं ने इज़रायल में घुसपैठ कर कई निर्दोष इजरायली नागरिकों की हत्या कर दी थी और क़रीब 190 लोगों को बंदी बना कर अपने साथ गाज़ा ले गए इनमें इज़रायल के अलावा अन्य कई देशों के नागरिक शामिल हैं .

उधर इज़रायली सेना लगातार हमास के ठिकानों पर घातक हमले कर रही है जिससे जान माल की बेइंतहा बर्बादी हो रही है

अब-तक इस युद्ध में दोनों तरफ़ जान-ओ-माल का काफ़ी नुक्सान हो चुका है .इस युद्ध में अब तक साढ़े 4 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 10 हज़ार से भी अधिक घायल हुए हैं . इज़रायल के प्रधानमंत्री ने जहाँ अपने देश की जनता और फ़ौज को संबोधित करते हुए कहा है कि , हम हमास का नामों निशाँ मिटा कर दम लेंगे तो वहीँ हमास समूह के प्रवक्ता अबू ओबेदेह ने पिछले सोमवार को कहा था कि गाज़ा पट्टी पर इज़रायल के ज़मीनी हमले की धमकी से हम क़तई डरते नहीं और उसके हर हमले का जवाब देने के लिए हम भी पूरी तरह तैयार हैं ।

उधर इज़रायली सेना लगातार हमास के ठिकानों पर घातक हमले कर रही है .

हमास के कई बड़े कमांडर इज़रायल के हमलों में मारे जा चुके हैं . गाज़ा के हालात दिनों दिन बहुत ख़राब होते जा रहे हैं

हमास के कई बड़े कमांडर इज़रायल के हमलों में मारे जा चुके हैं . गाज़ा के हालात बहुत ख़राब हो चुके हैं , हमास के ठिकानों के अलावा कई आवासीय इमारतें ज़मींदोज़ हो चुकी हैं और इनके मलबों में अभी भी कई लोग दबे हो सकते हैं .उनको मलबे से बाहर निकाले जाने पर मृतकों और घायलों की संख्या और बढ़ सकती है . यहाँ विनाश का तांडव चल रहा है . गाज़ा पट्टी में बिजली , पानी ,खाने-पीने के सामानों , ऑक्सिजन और दवाईयों की भारी कमी है. अस्पतालों का बहुत बुरा हाल है .

हालंकि अब गाज़ा पट्टी में राहत सामग्री का पहुंचना शुरू हो गया है बावजूद इसके अपना घर , अपना शहर और अपने लोग गँवा चुके हज़ारों बेगुनाह नागरिकों के लिए गाज़ा पट्टी , धरती पर ही नरक का पर्याय बन चुकी है .

अमेरिका और इज़रायल के प्रगाढ़ रिश्तों से दुनिया अच्छी तरह वाकिफ़ है . 2022 में अमेरिका ने इज़रायल को 4 अरब 80 करोड़ डॉलर की मदद की थी तो वहीँ इस बरस वो इज़रायल को अब तक 3 अरब 80 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद दे चुका है . अमेरिका का इज़रायल को सीधा समर्थन है तो उधर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में हमास और इज़रायल के बीच जारी युद्ध को रोके जाने की बात कही है . वहीँ रूसीराष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि इज़रायल भी हमास के बर्बर हमले का जवाब क्रूरता से दे रहा है .

गाज़ा के सभी नागरिक हमास के साथ नहीं हैं. पिछले दिनों गाज़ा के एक अस्पताल पर कथित इज़रायली हवाई हमले के विरोध में मिस्र, जॉर्डन, मोरक्को, संयुक्त अरब अमीरात में और लेबनान में इज़रायल विरोधी प्रदर्शन हुए . ईरान ने तो खुले तौर पर हमास का समर्थन करते हुए इज़रायल को सबक़ सिखाने की धमकी दी है . अमेरिका स्थित विल्सन सेंटर को एक थिंक टैंक माना जाता है जिसके अनुसार ईरान 2006 से आर्थिक सहायता के अलावा रॉकेट और अन्य आयुधों का स्थानीय स्तर निर्माण संभव बनाने के लिए , हमास को ज़रूरी उपकरण और जानकारियां उपलब्ध करवा करा रहा है.

2023 का बरस विदा होने की कगार पर है लेकिन, मानवता के इतिहास में विध्वंस और हत्याओं का एक कभी न भुलाया जा सकने वाला रक्तरंजित अध्याय जोड़ कर विदा होगा .

ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने कुछ दिन पहले ही ईरान की ओर से इज़रायल को चेताते हुए धमकी के अंदाज़ में कहा था कि , अगर गाज़ा पर उसके हमले थमें नहीं तो ,‘कभी भी कुछ भी हो सकता है’. हमास और इज़रायल के बीच जारी युद्ध के सन्दर्भ में इस टिपण्णी के गहरे अर्थ निकाले जा रहे हैं .कई लोग इस युद्ध को और व्यापक होकर तीसरे विश्व युद्ध में बदल जाने के आसार के रूप में देख रहे हैं .

संयुक्त राष्ट्र आयोग इस युद्ध को अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन मानता है और उसने कहा है कि , निर्दोष नागरिकों की हत्या के ज़िम्मेदार लोगों को दण्डित किया जाना चाहिए . इस युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का कथन है कि , दोनों ही पक्षों द्वारा किये गए युद्ध अपराधों के उसके पास पर्याप्त प्रमाण हैं .

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