क्या इस ब्रह्माण्ड में पृथ्वी के अलावा भी कहीं जीवन है और अगर है तो क्या है वो

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अभी तक जा रहा था कि ब्रह्माण्ड में अब तक पूरी तरह विकसित जीवन केवल पृथ्वी पर ही मौजूद है लेकिन ये प्रश्न वैज्ञानिकों को परेशान करता रहा है कि , क्या इस ब्रह्माण्ड में पृथ्वी के अलावा भी कहीं जीवन है और अगर है तो क्या वो पृथ्वी की तरह ही वैविध्य पूर्ण और तकनीकी रूप से विकसित है या फिर अपने आदिम रूप में है ?उधर दूसरी तरफ विगत कई दशकों से आम और ख़ास लोगों की दिलचस्पी UFO यानी अनआइडेंटीफ़ाइंग फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स हिन्दी में कहें तो अज्ञात उड़न तश्तरियों में रही है ।

जिन्हें समय-समय पर अनेक देशों में , अनगिनत लोगों ने देखने का दावा किया है और कई ने तो ये तक कहा है कि , उन्होंने परग्रही लोगों को समीप से देखा है और जिनके बारे में ये दावा किया जाता है कि वो किसी अन्य ग्रहों से उन उड़न तश्तरियों में आते हैं जिनकी असीमित गति है . अमेरिका का “एरिया फिफ्टी वन” इस तरह की गतिविधियों के दावों को लेकर दशकों से चर्चा में रहा है लेकिन वहां की सरकार इन दावों को सिरे से नकारती रही है ।

लेकिन कुछ लोगों ने इन दावों का पूरी दृढ़ता से समर्थन किया है . इस बाबत युफोलोजिस्ट , परग्रही सभ्यता केंद्र और डिस्क्लोज़र प्रोजेक्ट के संस्थापक डॉक्टर स्टीवन ग्रीअर ने विवादास्पद वृतचित्र “अनएकनौलेज्ड” में ये रहस्योद्घाटन किया है कि ,परग्राहियों का अस्तित्व है और हम उनके संपर्क में हैं . इस बात की सच्चाई पर पिछले दिनों एक प्रेस कांफ्रेंस में मुहर लगा दी अमेरिका के भूतपूर्व ख़ुफ़िया अधिकारी डेविड ग्रश ने जिन्होंने ये दावा किया है कि , उनके कई सहकर्मी अज्ञात हवाई घटनाओं के दौरान ज़ख़्मी हो चुके हैं ।

ग्रश ने ये भी दावा किया है कि , सरकार की अभिरक्षा में परग्रही सभ्यता के अनेक यान हैं जिनमे से कुछ अक्शुण हैं और कुछ आंशिक रूप में खोले गए हैं . इनमे से कुछ यानों का आकार फुटबॉल के एक बड़े मैदान जितना है . दावा ये भी किया गया है कि ,दुर्घटनाग्रस्त परग्रही यानों से अमानवीय जैविक अंश भी बरामद किये जा चुके हैं . सूत्रों का कहना है कि ,इन परिग्रहियों के यानों की रिवर्स इन्जीनियरिंग का अध्ययन किया जा रहा है .हालाँकि इन दावों को नकार दिया गया है ।

इतिहास में थोड़ा पीछे लौटें तो हमारा ध्यान 1947 के जुलाई महीने में न्यू मक्सिको की लिंकन काउंटी के रोसवेल में कथित रूप से दुर्घटनाग्रस्त एक उड़न तश्तरी पर जाता है जिसके मलबे को बाद में मौसम के अध्ययन करने वाले गुब्बारे का मलबा बताया गया . छत्तीसगढ़ में कांकेर के चारामा क्षेत्र में मौजूद गुफाओं में पाषाण युगीन मानवों द्वारा निर्मित परग्रहियों और उनकी उड़न तश्तारियों के 10 हज़ार वर्ष पुराने भित्ती चित्र देखे गए हैं ।

जिस ब्रह्माण्ड में खरबों ख़रब आकाशगंगाएं हों और हर आकाशगंगा में खरबों ख़रब तारे हों ऐसे में पृथ्वी के वैज्ञानिकों को ये उम्मीद है कि , इन आकाशगंगाओं के अनेक तारों और उनके इर्द गिर्द चक्कर काटते ग्रहों पर आदिम अवस्था से लेकर बेहद विकसित अवस्था का जीवन हो सकता है , हाँ उसका आकार रंग रूप कैसा होगा ये भी बस अनुमान तक ही सीमित है ..हो सकता है निकट भविष्य में किसी सभ्यता का उच्च तकनीकी विकास की सहायता से हमसे संपर्क संपर्क और संवाद हो सके.

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