अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का जोश और उत्साह के साथ रंगारंग समापन हुआ..

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talkwithshirin-तीसरे राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश-विदेश के कलाकारों ने एक साथ मंच साझा किया। तीन दिवसीय महोत्सव में बड़ी संख्या में आदिवासी कलाकारों और अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों ने अपनी कला और संस्कृति को नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया। आदिवासी कलाकारों ने अपनी संस्कृति और लोक नृत्य की झलक पेश की है। भले ही रंग रूप बोली भाषा जुदा हो लेकिन इस समाज की एक खासियत समान रूप से दिखी वो है इनकी सहजता और सादगी ।

इस महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हिस्सा लेने दुनिया के कई देशों के ट्राइबल कलाकार आए हुए हैं. इस बहाने अलग अलग राज्य़ों और देशों के आदिवासी समाज और संस्कृति को करीब से देखने का मौका मिला.आदिवासी बस्तर का हो या फिर उत्तर पूर्व का या फिर अफ्रीका का या फिर आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश का वो बेहद सरल है. वो इस तेज रफ्तार जीवन शैली के बीच भी अपनी परंपराओं से बंधा हुआ है. वो प्रकृति की गोद में बेहद सीमित संसाधन पाकर भी खुश है. दुनिया भर के आदिवासी कलाकारों को इस तरह जोड़ने की जितनी सराहना की जाये कम है।

छत्तीसगढ़ में गुलाबी ठंड होने के बावजूद राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आए लोग देर रात तक जमे रहे हैं। गीत, संगीत और नृत्य ने अतिथियों को कार्यक्रम में डटे रहने के लिए मजबूर किया। आदिवासी कलाकारों ने नृत्य के जरिए पूरे कार्यक्रम में समां बांध दिया। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने कार्यक्रम का ज़बरदस्त लुत्फ उठाया

पिछले दो वर्षों में डांस फ़ेस्टिवल कोरोना की वजह से नहीं हो पाया । 2021 में दूसरा राष्ट्रीय डांस फ़ेस्टिवल हुआ । पहले समारोह में जहां 1262 आदिवासी कलाकारों ने हिस्सा लिया वहीं 6 देश लंका , यूगांडा , मालदीव , थाईलैण्ड , बांग्लादेश और बेलारूस के 59 ऐथेनिक आर्टिस्टों ने हिस्सा लिया । दूसरे साल 2021 में कोरोना की भीषण त्रासदी से थोड़ी सी निजात पाकर सात देशों के कलाकारों के साथ 1149 कलाकारों ने हिस्सा लिया । इस बार स्विट्ज़रलैंड,निगारिया,श्रीलंका,फ़िलिस्तीन,यूगांडा और उज़बेकिस्तान के 60 कलाकार हिस्सा लेने आये । धीरे-धीरे ये कारवाँ बढ़ता गया । तीसरे डांस फ़ेस्टिवल में इस बार दस से अधिक देश के डांस ग्रूप ने हिस्सा लिया खेती ,पर्व, अनुष्ठान एवं विवाह पर आधारित नृत्यों पर आधारित इस राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में भारत के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों समेत दस देशों मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड, इजिप्ट और रवांडा के 1500 जनजातीय कलाकारों ने हिस्सा लिया।

अतिथि झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को मंच से कहना पड़ा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल राज्य में ऐसे वर्ग को आगे बढ़ा रहे हैं जिनका सदियों से शोषण हुआ है। उनकी सरकार आदिवासी, दलित और पिछड़े लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही सबके विकास के लिए कार्य कर रही है। मुझे इस मंच में आकर गौरव महसूस हो रहा है ।

इस दौरान देश-विदेश से आए आदिवासी कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी है। रसियन दल ने वरेन्का नृत्य के साथ शानदार शुरुआत की, इस नृत्य के जरिए रूसी संस्कृति को प्रस्तुत किया गया। रशियन कलाकारों ने गालिया और कोसेंग सूट नृत्य की प्रस्तुति दी। कोसेंग नृत्य विजय के बाद अपनी परंपरा और शौर्य को दर्शाने के लिए किया जाता है। रशियन कलाकारों ने प्रेम, संगीत, परिधान और परंपरा चारो एक ही डांस में और शारीरिक संतुलन का अद्भूत प्रदर्शन किए।

आदिवासी नृत्य महोत्सव में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले सिक्किम के कलाकारों द्वारा तमांग सेलो नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गयी। पारंपरिक अवसर और अनुष्ठानों में किये जाने वाले इस नृत्य से दर्शकों में उत्साह भर दिया। टोगो से आये कलाकारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों पर अनोखी प्रस्तुति दी।

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में करीब 4 हजार किलोमीटर दूर सर्बिया से आये कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नृत्य कौशल को देख दर्शक काफी उत्साहित हुए । सर्बिया के कलाकार ट्रेडिशनल डांस का प्रदर्शन किए। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2022 में अंतिम प्रस्तुति के रूप में मोजांबिक के कलाकार अपनी सांस्कृतिक नृत्य की प्रस्तुति दी। छत्तीसगढ़ के 22 लें राज्योत्सव के अवसर पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव के मंच से प्रस्तुत नृत्य , गीत , संगीत मनुष्य की आदिम लय और सामूहिकता का प्रतीक बनकर प्रकृति और परंपरा के साथ जुड़ाव की अभिव्यक्ति बनकर जनमानस के दिलोदिमाग़ पर आने वाले समय तक छाये रहेगे ।

प्रथम श्रेणी में छत्तीसगढ़ के जिस नृत्य दल को करमा नृत्य को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ उसकी प्रस्तुति देखकर दर्शको में उत्साह दिखा। फ्यूज़न डांस में देश-विदेश के कलाकारों के साथ संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत के साथ साथ जनप्रतिनिधियों ने बस्तरिया और छत्तीसगढ़िया गाना में जमकर नाचे।

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