धरने के बीच खुद को आग के हवाले किया था
- संत विजय दास ने नई दिल्ली में ली अंतिम सास
- 12 साल पहले आए थे बरसाना के मान मंदिर
- बाबा को डेढ़ साल पहले बनाया गया महंत
- बाबा के जाने के बाद अनाथ हो गई है पोती
- एक हादसे में उनके बेटे और बहू की पहले ही हो चुकी है मौत
अवैध खनन को रोकने के लिए आत्मदाह का प्रयास करने वाले बाबा विजय दास का दिल्ली में निधन हो गया है. बाबा ने भरतपुर के पसोपा इलाके में चल रहे अवैध खनन को लेकर धरने के बीच खुद को आग लगा लिया था. संत विजय दास का नई दिल्ली में देर रात 3 बजे निधन हो गया. वो सफदरजंग हॉस्पिटल की बर्न यूनिट में एडमिट थे, संत को क्रिटिकल हालत में दो दिन पहले ही जयुपर से शिफ्ट कराया गया था.
संत ने 20 जुलाई को आत्मदाह किया था. 22 जुलाई की रात उन्होंने अंतिम सांस ली. संत का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से यूपी के बरसाना लाया जाएगा, अंतिम दर्शन के बाद उनका आज अंतिम संस्कार किया जाएगा. बाबा विजय दास हरियाणा के रहने वाले थे हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे संत विजय दास. साधु बनने से पहले से पहले उनका नाम मधुसूदन शर्मा था. एक हादसे में उनके बेटे और बहू की मौत हो गई थी. इसके बाद परिवार में बाबा और उनकी एक पोती बचे थे. अब सिर्फ पोती रह गई जो बाबा के जाने के बाद अनाथ हो गई है.
- बाबा विजय दास हरियाणा के रहने वाले थे
हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे संत विजय दास. साधु बनने से पहले से पहले उनका नाम मधुसूदन शर्मा था. एक हादसे में उनके बेटे और बहू की मौत हो गई थी. इसके बाद परिवार में बाबा और उनकी एक पोती बचे थे. अब सिर्फ पोती रह गई जो बाबा के जाने के बाद अनाथ हो गई है.