बस्तर की महिलाओं के चट्टानी इरादों की बदौलत, पथरीली जमीन में फूटे पपीते के अंकुर हाथों से पत्थर बीन महिलाओं ने उगाया मीठा पपीता…

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बस्तर की महिलाओं के चट्टानी इरादों से पथरीली जमीन में फूटे पपीते के अंकुर डेढ़ महीने तक हाथों से पत्थर बीन महिलाओं ने उगाया मीठा पपीता पपीता की खेती कर हमें पहली बार हवाईजहाज में बैठ दिल्ली जाने का मौका मिला, हमारी ज़िंदगी आपकी सरकार बदल रही है – पपीता कृषक बहनों ने जताया मुख्यमंत्री का आभार

एक साल में लागत वसूल कर 10 लाख की कमाई करने पर बधाई दी।

वेदर स्टेशन और मोबाइल एप्प का भी स्मार्टली उपयोग कर रहीं है हमारी महिलाये साथ ही बाड़ी में एक अत्त्याधुनिक तकनीक का वेदर स्टेशन द्वारा उपयुक्त तापमान, वाष्पीकरण दर, मिट्टी की नमी, हवा में नमी की मात्रा, हवा की गति, हवा की दिशा का मापन भी किया जाता है। इस जानकारी का उपयोग महिलाएं अपने मोबाइल में एप्प से सिंचाई के लिए कर रही हैं। इस तकनीक के इस्तेमाल से उत्पादकता बढ़ी है।

सभी महिलाओं ने जीवन की नई राह में बढ़ने के लिए के लिए cm बधेल का दिल से धन्यवाद किया

एक साल में लागत वसूलने और 10 लाख की कमाई पर मुख्यमंत्री ने महिलाओं को दी बधाई मंगलपुर की पपीता बाड़ी है नरवा गरुवा घुरूवा बाड़ी योजना की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण*10 एकड़ में 300 टन पपीता उगाकर किया 40 लाख का विक्रय दिल्ली की सब्जी मंडी में 80 रुपये प्रति किलो में बिक रहा यहां का पपीता एशिया में पहली बार की गई उन्नत अमीना किस्म के पपीते की खेती ऑटोमेटेड ड्रिप इर्रिगेशन सिस्टम और मोबाइल एप्प द्वारा बाड़ी में लगे वेदर स्टेशन से महिलाएं कर रहीं आधुनिक खेती

बस्तर की महिलाओ ने 10 एकड़ में 300 टन पपीता उगाकर 40 लाख रुपये का विक्रय किया

कहते हैं इरादे अगर चट्टानी हों तो पत्थर में भी फूल खिलते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, बस्तर की इन महिलाओं ने मां दन्तेश्वरी पपई उत्पादन समिति की 43 महिलाओं की मेहनत से अब बस्तर के मंगलपुर गांव की पथरीली जमीन में भी पपीता के अंकुर फूट रहे हैं।मंगलपुर की ये पपीता बाड़ी नरवा गरुवा घुरूवा बाड़ी योजना की सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

माँ दन्तेश्वरी समिति की हेमवती कश्यप ने मुख्यमंत्री को आज अपनी सफलता की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया की इस उन्नत फल की पाने में उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जो वाकई काबिले तारीफ थी हेमा कश्यप ने बताया कि ये जमीन बहुत ही पथरीली और बंजर थी

  • पपीता का पौधा लगाने के लिए बेड बनाये। बड़ा बेड बनाने के लिए पुनः मिट्टी डाली गई।
  • जमीन को खेती लायक बनाने के लिए डेढ़ महीने तक महिलाओं ने हाथों से पत्थर बीने और तकरीबन 100 ट्राली पत्थर बाहर किये
  • दिसम्बर 2021 में महिलाओं द्वारा शुरू किया गया जमीन तैयार करने का काम लगभग डेढ़ महीने चला
  • 11 जनवरी 2021 को पपीता के पौधे का रोपण शुरू हुआ।
  • ये इन महिलाओं की कड़ी मेहनत ही है कि आज 10 एकड़ के क्षेत्र में 5500 पपीता के पौधे लहलहा रहे हैं।
  • अभी तक 300 टन पपीते का उत्पादन हो चुका है। यहां इंटर क्रॉपिंग द्वारा पपीते के बीच मे सब्जियाँ उगाई जा रही हैं।
  • एशिया में पहली बार यहां उन्नत अमीना किस्म के पपीते की खेती की जा रही। ये पपीता बहुत मीठा और स्वादिष्ट होने साथ ही पोषक भी होता है। दिल्ली में बड़े चाव से बिक रहा है बस्तर की बाड़ी का पपीता
  • मुख्यमंत्री ने महिलाओं का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि तरक्की के लिए मेहनत जरूरी है, बस जानकारी और हौसले की ज़रूरत है। यहां के लोग बहुत मेहनतकश हैं। आपने जो सीखा है, उसे और लोगों को भी सिखाएं। मंगलपुर की ही तरह बस्तर के हर गांव के किसान ऐसी खेती कर के तरक्की कर सकते हैं
  • दिल्ली की आजादपुर मंडी में पपीते की लगभग 5 टन की तीन खेप बेची जा चुकी है। जिसके 80 रुपये प्रति किलो की दर से दाम मिले हैं। ये सम्भव हुआ इन महिलाओं की हौसले और कड़ी मेहनत से
  • मुख्यमंत्री ने ऑटोमेटेड ड्रिप इर्रिगेशन सिस्टम से उन्नत कृषि का निरीक्षण किया साथ ही देखा,इस सिस्टम से उपयुक्त मात्रा में ही पानी और घुलनशील खाद पपीता की जड़ों तक पहुंच रहा है। यह पूरा सिस्टम कंप्यूटरिकृत है, जिसे इंटरनेट द्वारा कहीं से भी ऑपरेट किया जा सकता है।

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