1 मई यानी अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस को छत्तीसगढ़ की संस्कृति तीज-त्योहारों और जीवन शैली का अहम हिस्सा है ‘बोरे बासी’ इसे बढ़ावा देने के लिए शासकीय अवकाश घोषित किया जा रहा है

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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में गर्मियों के दिनों में ‘बोरे बासी’ (Bore Basi) सबसे पसंदीदा भोजन में से एक माना जाता है. राज्य में पहली बार ‘बोरे बासी’ को लेकर चारों ओर काफी ज़ोर शोर से चर्चा हो रही है.

1 मई यानी मजदूर दिवस (Labour Day) पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने प्रदेशवासियों से बोरे बासी खाने की अपील की है. इसके बाद से ही इसकी तैयारी शुरू हो गई है. छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के गढ़ कलेवा में भी रोजाना 250 लोगों के हिसाब से बोरे बासी बनाई जा रही है.

स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने राजनितिक सदस्यों आमजनों और श्रमिक के साथ बैठ कर ‘बोरे बासी’ का आनंद लिया और इसकी महत्ता को बड़ी ही तफसील से बताया की सेहत के लिए ये भोजन कितना फ़ायदेवंद है, तीज-त्योहार में इसे रेगुलर शामिल कर, बोरे बासी खाने की अपील की 1 मई के इस खास दिवस में.

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cm बघेल ने प्रदेशवासियों से ‘बोरे बासी’ खाने की अपील कर, इसे खास भोजन में तब्दील कर दिया

छत्तीसगढ़ में एक प्रसिद्ध कहावत है – ‘बासी के नून नइ हटय’ इस कहावत का हिन्दी भावार्थ है कि, बासी में मिला हुआ नमक नहीं निकल सकता। इस कहावत का उपयोग सम्मान के परिपेक्ष्य में किया जाता है। सवाल उठ सकता है कि आखिर यहां बात ‘बासी’ की क्यों हो रही है, तो बात जब किसी प्रदेश की होती है तो साथ में बात वहां के खान-पान की भी होती है। छत्तीसगढ़ में खान-पान के साथ जीवनशैली का एक अहम हिस्सा है ‘बासी’। शायद इसलिए भी छत्तीसगढ़ी फिल्मों में छत्तीसगढ़ी परिवेश को दिखाने के लिए फिल्म के पात्रों को ‘बासी’ खाते दिखाया जाता है।

जहां बाकी व्यंजनों को बनाने के कई झंझट हैं, वहीं बोरे और बासी बनाने की विधि जितनी सरल है, उससे कही ज़्यादा फायदेमंद। इस भोजन को बनाने में कोई जुगत लगाने की ज़रूरत है और ना ही सीखने की इस पौष्टिक और स्वादिष्ट ‘बोरे बासी’ की सादगी पर प्रख्यात कवि ‘मीर अली मीर’ ने क्या खूब कहा है..

चुनांचे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में बोरे या बासी के साथ आम के अचार, भाजी जैसी सहायक चीजें बोरे और बासी के स्वाद को बढ़ा देते हैं। दरअसल गर्मी के दिनों में छत्तीसगढ़ में भाजी की बहुतायत होती है। इन भाजियों में प्रमुख रूप से चेंच भाजी, कांदा भाजी, पटवा भाजी, बोहार भाजी, लाखड़ी भाजी बहुतायत में उपजती है। इन भाजियों के साथ बासी का स्वाद दुगुना हो जाता है। आलम यह है की…छत्तीसगढ़ का ‘‘बोरे-बासी’’ छाया सोशल मीडिया हाइली ट्रेंड कर रहा है

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छत्तीसगढ़ का ‘‘बोरे-बासी’’ छाया रहा सोशल मीडिया पर

छत्तीसगढ़ का ‘‘बोरे-बासी’’ छाया सोशल मीडिया पर

ट्विटर पर #borebaasi नंबर-1 पर कर रहा है ट्रेंड

01 मई 2022 सोशल मीडिया ट्विटर पर छत्तीसगढ़ का #borebaasi नंबर-1 पर ट्रेंड कर रहा है

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ियों से मजदूर दिवस पर बोरे-बासी खाकर अपनी छत्तीसगढ़िया संस्कृति और श्रमिकों को सम्मान देने की अपील पर देश-विदेश में बसे छत्तीसगढ़वासियों द्वारा बोरे-बासी खाकर अपनी फोटो-वीडियो रोचक कैप्शन के साथ सोशल मीडिया पर हैश टैग #borebaasi के साथ शेयर की गई।


बोरे-बासी छत्तीसगढ़ का पारंपरिक भोजन है,पोषक तत्वों से भरपूर इस व्यंजन का छत्तीसगढ़ में किसान, मजदूर, अमीर-गरीब सहित सभी लोग, हमेशा से सभी बड़े चाव से खाते हैं। आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर कोने-कोने में बसे छत्तीसगढ़वासियों ने बोरे-बासी खाकर अपनी गौरवशाली परंपरा के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए एकजुटता का प्रदर्शन किया है

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