शांति की पहली किरण नजर आने लगी युक्रेन झुकने को तैयार है । वही दूसरी और रूस बातचीत की कई हद तक सार्थक बताया. बात बातचीत की लेकर दुनियां की नजर अब रूस के रुख पर टिकी है. और उम्मीद यहीं की जंग का अंत जल्द हो ताकि दुनियां की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट सके
सैन्य अभियानों को कम करने का रूस का वादा युद्धविराम नहीं है.
मंगलवार तुर्की के इस्तांबुल में दिन 3 घंटे की हुई रूस और यूक्रेन के बीच बैठक में हमले कम करने की बात रूस ने कही है. दोनों देशों सहमति से सीजफायर के लिए तैयार हुए हैं. हालांकि, मॉस्को के प्रमुख वार्ताकार ने स्पष्ट किया है कि कीव और उत्तरी यूक्रेन के आसपास सैन्य अभियानों को कम करने का रूस का वादा युद्धविराम नहीं है. इसके लिए अभी कीव के साथ औपचारिक समझौते पर बातचीत को अभी लंबा रास्ता तय करना है.वहीं यूक्रेन ने इस बातचीत के दौरान रूस के सामने कई प्रस्ताव रखे. उन्होंने कहा कि अगर सुरक्षा गारंटी मिलती है तो हम तटस्थ रहेंगे और सैन्य गठबंधन में भी शामिल नहीं होंगे.
डोनबास और क्रीमिया पर दावा नहीं किया जाएगा-यूक्रेन
यूक्रेन ने कहा हम अपनी धरती पर विदेशी सेना का बेस भी नहीं बनने देंगे और परमाणु हथियार हासिल भी नहीं करेंगे इसके अलावा डोनबास और क्रीमिया पर दावा नहीं किया जाएगा और रूस भी यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन में शामिल होने का विरोध नहीं करेगा.
रूस की तरफ से भी सकारात्मक पहल
बातचीत के दौरान ही रूस के उप रक्षा मंत्री अलेक्जेंडर फोमिन ने कहा कि रूसी सुरक्षा बल कीव और चेर्नीहीव की दिशा में सैन्य गतिविधियों में कटौती करेंग वहीं इस बयान के बाद कुछ देर में ही कीव से रूसी सैनिकों को पीछे हटने की खबर आई. बता दें, रूस और यूक्रेन के बीच हुई इस बातचीत में दो लोग मुख्य मध्यस्थ के तौर पर नजर आए, पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन और दूसरे रूसी अरबपति और यूरोप के मशहूर फुटबॉल क्लब चेल्सी के मालिक रोमन अब्रामोविच.दोनों देशों के विदेश मंत्री मिलेंगे- मेवलुत कावुसोग्लूतुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने कहा कि, ‘हमने देखा की कुछ दूरियां कम हुई हैं, कई मुद्दों पर सहमति बनी हैं. अब ज्यादा जटिल मुद्दों पर उच्च स्तर पर बातचीत होगी और दोनों देशों के विदेश मंत्री मिलेंगे जिसमें हम चाहेंगे कि पुतिन और जेलेंस्की भी सामने बैठकर बात करें.’जेलेंस्की और पुतिन के बीच हो सकती है मुलाकात से पहले अब्रामोविच को लेकर अफवाह उड़ी थी कि इन्हें बेलारूस में हुई पिछली बैठक के दौरान जहर देकर मारने की कोशिश की गई लेकिन रूस ने तुरंत खंडन करते हुए इसे पश्चिमी देशों का प्रोपोगेंडा बताया. इस्तांबुल में हुई बैठक में अब्रामोविच बिलकुल सही सलामत दिखे. अब्रामोविच को पुतिन का करीबी माना जाता है इसलिए इनकी मौजदूगी का मतलब था कि बैठक पर पुतिन सीधी नजर रख रहे थे.
पश्चिमी देश का दावा. प्रतिबंधों की वजह से रूस बातचीत के लिए तैयार हुआ..
अब यूक्रेन ने जो प्रस्ताव रूस के सामने रखा है उस पर पुतिन राजी होते हैं तो जल्द ही जेलेंस्की और पुतिन की आमने-सामने मुलाकात भी हो सकती है. हालांकि पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका को इस बातचीत को संदेह की नजर से देख रहे हैं.रूस में गंभीरता के संकेत नहीं दिखे- अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का कहना है कि, ‘मैंने ऐसा कुछ भी नहीं देखा जिससे लगे की बातचीत प्रभावी तरीके से आगे बढ़ रही हो, रूस में गंभीरता के संकेत नहीं दिखे. हालांकि अगर यूक्रेन का निष्कर्ष है कि रूस गंभीर है तो यह अच्छा है और हम इसका समर्थन करते हैं. ब्रिटेन समेत NATO के तमान देशों ने भी कहा कि अगर पुतिन युद्धविराम के लिए राजी भी हो जाते हैं तो रूस का लगा प्रतिबंधन नहीं हटने वाला. पश्चिमी देश दावा करते है कि उन्हीं के प्रतिबंधों को वजह से रूस बातचीत के लिए तैयार हुआ है इसलिए रूस पर दबाव बनाए रखना चाहिए.’