संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण का आज दसवां दिन है। महंगाई के मुद्दे पर राज्यसभा और लोकसभा में आज फिर से हंगामा हुआ। विपक्ष ने केंद्र सरकार से ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी को वापस लेने के लिए कहा, साथ ही इस मुद्दे पर पीएम मोदी से बयान देने के लिए भी कहा ।
लगातार बढ़ रही महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी, सबसे पहला असर गृहस्थी पर पडता है, petrol Diesel की कीमतों के साथ-साथ domestic gas की कीमतों में भी भयंकर इजाफा हो रहा है। जुलाई महीने की 1 तारीख को रसोई गैस की कीमतों में ₹25 की बढ़ोतरी हुई और पेट्रोल डीजल की कीमतों में ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी गई। खाने-पीने से लेकर पहनने और घूमने तक की चीजें महंगी हो रही है। ऐसे में आम आदमी की कमर पूरी तरह टूट चुकी है और औकात से बाहर महंगाई जा चुकी है।
हमारी बुनियादी ज़रूरत है रसोई गैस जिसे दिनों दिन महंगा किया जा रहा है
पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े में नज़र डाले तो चौकाने वाले हैं
- 2014….470
- 2017..646
- 2020…910
- 2022..1030
संसद में बहस होती है, बहस हंगामें का रूप ले लेता है लेकिन नतीजा क्या निकलता है आम जन के लिए राहत का फैसला क्यों नही लिया जाता..स्वयं को आत्म-निर्भर और सशक्त रूप से स्थापित करने के लिए हमारी सरकारों को कई बड़े इम्तिहानों और बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. भारतीय अर्थव्यवस्था, आजादी के इतने वर्षों बाद भी पूरी तरह चरमरायी हुई है. भले ही हमारी सरकारें लोगों के जीवन स्तर को सुधारने और उन्हें बेहतर रोजगार मुहैया कराने का दम भरती हों, लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि हमारी अधिकांश जनसंख्या बेरोजगारी के कारण भूखे पेट सोने और शिक्षा विहीन रहने के लिए विवश है. उसके पास किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसी परिस्थितियों में हमारी सरकारें, जो गरीबी और बेरोजगारी को जड़ से समाप्त करने के लिए नीतियां बनाती हैं, उनकी सार्थकता कितनी है इस बात का अंदाजा तो स्वत: ही लगाया जा सकता है.