खरीफ की 85% बुवाई पूरी: तिलहन का क्षेत्र घटा, मक्का की ओर बढ़ा किसानों का रुझान
इस साल मानसून की अच्छी बारिश के चलते देश में खरीफ फसलों की लगभग 85 फीसदी बुवाई पूरी हो चुकी है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, 1 अगस्त तक कुल 932.93 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 887.97 लाख हेक्टेयर था। इस प्रकार करीब 44.96 लाख हेक्टेयर यानी लगभग 5 प्रतिशत अधिक क्षेत्र में बुवाई हुई है।


हालांकि, दालों की बुवाई में मामूली गिरावट देखी गई है। दलहन फसलों का कुल क्षेत्र 101.22 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 101.54 लाख हेक्टेयर था।
दलहन में सबसे अधिक गिरावट अरहर (तुर) की बुवाई में दर्ज की गई है, जो पिछले साल के 41.06 लाख हेक्टेयर से 6.68 प्रतिशत घटकर 38.32 लाख हेक्टेयर रह गई है। उड़द की बुवाई भी 2.43 प्रतिशत कम हुई है।
मक्का की बुवाई 11.74% अधिक मोटे अनाजों की बुवाई में 4.74 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो 164.76 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 172.57 लाख हेक्टेयर हो गई है। हालांकि, ज्वार और बाजरा की बुवाई में थोड़ी गिरावट है, लेकिन मक्का की बुवाई में 11.74 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। मक्का का रकबा पिछले साल 81.99 लाख हेक्टेयर था, जो इस साल बढ़कर 91.62 लाख हेक्टेयर हो गया है। किसानों का रुझान दलहन और तिलहन फसलों की तुलना में मक्का की ओर बढ़ा है। इथेनॉल उत्पादन में मक्का एक प्रमुख फीडस्टॉक बन चुका है। इसलिए मक्का की मांग भी बढ़ रही है। यही वजह है कि किसानों को रुझान भी मक्का की ओर बढ़ा है।
तिलहन का रकबा करीब 4% कम सरकार की खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता की कोशिशों के बावजूद किसानों का रुझान तिलहनों की तरफ कम रहा है।
खरीफ सीजन में तिलहन फसलों का कुल रकबा 178.14 लाख हेक्टेयर से घटकर 171.03 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो करीब 4 प्रतिशत की गिरावट है। मूंगफली की बुवाई में 4.33%, सूरजमुखी में 11.97% और सोयाबीन में 3.98% की कमी आई है। सोयाबीन का क्षेत्र 123.45 लाख हेक्टेयर से घटकर 118.54 लाख हेक्टेयर रह गया है। पिछली बार भाव में गिरावट के कारण सोयाबीन में किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था।
गन्ने की बुवाई बढ़ी, कपास में गिरावट देश के चीनी और इथेनॉल उत्पादन के लिए राहत की खबर है कि इस साल गन्ने की बुवाई का क्षेत्र 2.94 प्रतिशत बढ़कर 57.31 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल 55.68 लाख हेक्टेयर था। वहीं, कपास की बुवाई में 2.36 प्रतिशत की गिरावट आई है और इसका क्षेत्र घटकर 105.87 लाख हेक्टेयर रह गया है।