ख़वाहिशों पर काबू और सब्र का पैगाम सिखाती है रोज़ा..

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इस पाक महीने में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रोजा रख रहे हैं. पूरा दिन बिना खाना-पानी के लोग रोजा रहते हैं और शाम के समय खाना खाकर रोजा खोलते हैं. सुबह के वक्त सहरी खाई जाती है, जिसके साथ ही रोजे की शुरुआत हो जाती है. इसके बाद शाम के समय सूरज ढलने के वक्त इफ्तार (Iftar) किया जाता है, जिसके साथ ही एक दिन तक रखा गया रोजा समाप्त हो जाता है. रोजा रखने के दौरान पूरे दिन लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं

क़ुरान की तिलावत करना रोजेदारों के लिए निहायत बेशकीमती तोहफा होता है

इस पाक महीने में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रोजा रख रहे हैं. पूरा दिन बिना खाना-पानी के लोग रोजा रहते हैं और शाम के समय खाना खाकर रोजा खोलते हैं. सुबह के वक्त सहरी (Sehri) खाई जाती है, जिसके साथ ही रोजे की शुरुआत हो जाती है. इसके बाद शाम के समय सूरज ढलने के वक्त इफ्तार (Iftar) किया जाता है,

बचपन से ही सब्र के अदब सिखाती है रोज़ा

जिसके साथ ही एक दिन तक रखा गया रोजा समाप्त हो जाता है. रोजा रखने के दौरान पूरे दिन लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं, इन दिनों चिलचिलाती धूप और लू की वजह से पड़ रही जबरदस्त गर्मी रोजेदारों के लिए एक चुनौती बनकर आई है. गर्मी की वजह से रोजा रखना मुश्किल हो जा रहा है, क्योंकि सुबह से ही गला सूखने लग रहा है. उन लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ जा रही है, जिन्हें बाहर जाकर काम करना है. रमजान के महीने को सबसे आला महीना माना जाता है. इस महीने में मुस्लिम धर्म से आने वाले लोगों को किसी भी तरह के गलत कामों में शामिल नहीं होने की सलाह दी जाती है.

गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी से बचने और स्वास्थ्य विशेषज्ञ द्वारा सलाह लेने की हिदायत दी जाती है

ध्यान रहे रोजेदार अपने खाने में उन चीजों को शामिल करें, जिनमें पानी की भरपूर मात्रा होती है. शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए रोजेदारों से कहा जा रहा है कि वे सहरी और इफ्तार के वक्त पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं. इस वजह से उन्हें डिहाइड्रेशन से नहीं जूझना पड़ेगा. लोगों को तली हुई चीजों से परहेज करने और हल्का खाना खाने की सलाह दी गई है. वहीं, पिछले दो सालों से कोरोनावायरस महामारी की वजह से रमजान का महीना फीका जा रहा था. लेकिन इस बार रौनक देखने को मिल रही है.

रोजा और रमजान से जुड़ी कुछ दिलचस्प बताते हैं।

  1. रमजान के पाक महीने में किया जाता है पुण्य का काम जिसे [सदक़ा,ज़कात,और फ़ितरा] कहा जाता है

रमजान को मनाने का सबसे खास मकसद खुद को इश्वर के करीब लाना है। इस उपवास के दौरान मुस्लिम खूब दान पुण्य का काम करते हैं। जैसे- भूखों को खाना खिलाना। रमजान के वक्त कई मुसलमान अपना ज्यादा से ज्यादा समय मस्जिदों में बिताते हैं और क़ुरान पढ़ते हैं। नमाज अदा करते हैं, आस्था, दान, मक्का में हज यात्रा करते हैं। इतना ही नहीं इस दौरान रोजा रखने को भी इस्लाम में पाचवां स्तंभ माना जाता है।

अफ्तारी के दौरान की गई सभी दुवा कुबूल होती है

2. रोजे के दौरान नहीं बनाना चाहिए शारीरिक संपर्क

गर रमजान में रोजा रखने की प्रक्रिया की बात की जाए तो इस पूरे महीने मुसलमान सुबह से शाम तक खाना-पीने नहीं खाते हैं। इस दौरान वो पानी की एक बूंद तक नहीं पीते हैं। वहीं, विद्वानों के हवाले से कहा जाता है कि रोजे के दौरान सिर्फ खाने-पीने से ही दूरी नहीं बनाना बल्कि किसी भी तरह के वाद-विवाद और व्यर्थ बातों से भी दूर रहना चाहिए। इस समय एक और बात का खास ख्याल रखा जाता है कि शारीरिक संपर्क से भी दुरी बनाइ जाती है।

३. सहरी में क्या खाते हैं मुसलमान भाई बहन

रोजा रखने से पहले मुसलमान खाने में एक बात का ख्याल रखते हैं कि वो ऐसा खाना खाएं, जिससे उन्हें दिनभर ऊर्जा मिल सके। सहरी को अरबी भाषा में सुहूर कहा जाता है। दुनिया भर में रोजा की शुरुआत करने का अलग-अलग तरीका होता है। जिसमें से कुछ के बारे में आपको बताते हैं कि मिस्र में जीरा और जैतून के तेल में बना मसालेदार फावा बीन्स, लेबनान और सीरिया में पराठा (जो कि दही या पनीर के साथ खाया जाता है), अफगानिस्तान में खजूर और आलू की पकौड़ी खाकर रोजे की शुरुआत की जाती है। भारत में अपने भौगोलिक वातवरण और पसंद के मुताबिक खाना खाया जाता है

यूरोप के उत्तरी हिस्सों में भीषण गर्मी होती है। यहां इसी वजह से सूरज कई हफ्तों तक डूबता या उगता नहीं है तो वहां मुसलमान साऊदी अरब या आस-पास के मुस्लिम देशों के दिन के उजाले को देखकर रमजान की शुरुआत करते हैं।

४. रोजा खोलते समय क्या खाना चाहिए ..?

खजूर हमारी गिज़ा का बेहतरीन हिस्सा है

आज के समय में भी मुसलमान परंपरागत तौर पर ही रोजा खोलते हैं। करीब 1400 साल पहले पैगंबर मुहम्मद ने पहले सूर्यास्त के समय पानी पीकर और कुछ खजूर खाकर रोजा खोला था। ठीक इसी तरह से ही लोग आज भी अपना रोजा खोला करते हैं। शाम की नमाज पढ़ने के बाद लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ बड़ी दावत करते हैं, जिसे इफ्तार कहा जाता है। अगर इफ्तार की बात की जाए तो इस समय अरब में जूस पीने की परंपरा है। इसके अलावा दक्षिण एशिया और तुर्की में दही से बने पेय को प्राथमिकता दी जाती हैं।

खेल खेल में रोज़ा सब्र सिखा जाती है

5. किन्हें है रोजा ना रखने की छूट

रोजा रखने की कुछ लोगों को छूट भी दी जाती है। इसमें बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती, बीमार लोगों, मासिक धर्म वाली महिलाओं और यात्रा करने वाले लोगों को रोजा रखने से छूट दी जाती है। इसके अलावा रोजा के दौरान खाना खाने वालों को जुर्म भी देना पड़ता है। संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब जैसे कुछ मध्यपूर्व देशों में रमजान के दौरान दिन में सार्वजनिक रूप से खाना खाने वालों को दंड के रूप में हर्जाना भी देना पड़ता है। और रमजान ख़त्म होने के बाद पुरे रोज़े रखने की सख्त हिदायत भी होती है ..इसलिए कोशिश करें रोज़ा न छुटे

६. रमजान के दौरान काम के घंटों में होती है कटौती

रमजान के दौरान अपने पिता के साथ प्रार्थना करता छोटा लड़का

इसके साथ ही रमजान में मुस्लिम को काम के घंटों में छूट भी दी जाती है। इस दौरान रेस्टोरेंट को भी कई देशों में बंद कर दिया जाता है। बताया जाता है कि इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देशों में रमजान के दौरान बार और नाइट क्लब को पूरे महीने के लिए बंद कर दिया जाता है।
इस बार मई में धूमधाम से ईद मनाई जाएगी। अगर रमजान के खत्म होने की बात की जाए तो ईद उल-फित्र के साथ ही ये खत्म हो जाता है। इस दिन बच्चों को नए कपड़े, तोहफा और पैसे दिए जाते हैं। इस मौके पर पूरा परिवार कहीं बाहर घूमने जाता है। ईद का त्योहार लोग परिवार और दोस्तों के साथ मनाते हैं। एक बेहतरीन पैगाम के साथ ये सब्र का माह मुक्कमल हो जाता है

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