स्वर्णिम गुरु शिष्य मिलन समारोह” का यादगार आयोजन..

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क्या दूँ गुरु-दक्षिणा, मन ही मन मैं सोचूं चुका न पाऊं ऋण मैं तेरा अगर जीवन भी अपना दे दूँ

स्थानीय अग्रसेन भवन में 19 नवंबर 2022 को एक अलग ही तरह का आयोजन किया गया । इस आयोजन में 1968 में स्टेट हाई स्कूल तथा 1971 में दिग्विजय कॉलेज के साइंस ग्रुप से उत्तीर्ण विद्यार्थियों के संगठन “मित्र परिषद” द्वारा अपने गुरुजनों का सम्मान का कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम के दौरान एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया । यह स्मारिका भी अपने आप में विशिष्ट स्मृतियों का संकलन है जिसमें लगभग साठ वर्ष पूर्व के गुरु-शिष्य संबंध को दर्शाया गया है

आयोजन की एक विशेषता यह रही कि इसमें वर्तमान में मौजूद गुरुजनों को तो बुलाकर प्रतीक चिन्ह भेंट किया ही गया साथ ही जो गुरुजन मौजूद नहीं हैं उनके परिजनों को गुरुजन के नाम से प्रतीक चिन्ह प्रदान कर विद्यार्थियों ने अपने गुरु के प्रति नमन भाव ज्ञापित किया है।

सम्मान प्रदान किए जाते समय माहौल इतना भावुक हो चुका था कि गुरुजन के जो परिजन आए थे वे अश्रुपूरित नेत्रों से अपने पिताश्री के सम्मान को ग्रहण कर रहे थे

निश्चित ही उनकी आंखों में वे खुशियों के आंसू थे । शायद उनकी कल्पना मे भी यह नहीं रहा होगा 50 साल बाद भी कोई शिष्य उनके पिता श्री को याद कर उनका सम्मान करेगा। क्योंकि आज की इस भागम भाग जिंदगी में ऐसा बहुत कम होता है कि कोई अपने 50 साल पुराने किसी गुरु को याद करे।

आयोजकों में से सभी सदस्य 7 दशक पूर्ण कर चुके हैं और सभी ने एक गरिमामय वातावरण में अपने गुरुजनों का आदर भाव के साथ सम्मान करने के प्रयोजन से ही इतना बड़ा आयोजन किया है।

कार्यक्रम में दिग्विजय कॉलेज के पूर्व प्रोफ़ेसर्स- श्री जी पी श्रीवास्तव, श्री डी एस भारद्वाज श्री आर पी दीक्षित सुश्री डॉ. हेमलता मोहबे मैडम एवं स्टेट स्कूल के 92 वर्षीय व्याख्याता श्री पी के श्रीवास्तव, श्री पी सी जैन श्री जी एस शर्मा आदि मौजूद थे।

इसके अलावा विशिष्ट अतिथि गण के रूप में श्री गिरीश बख्शी, श्री कनक तिवारी पद्मश्री डॉक्टर पुखराज बाफना डॉ उत्तम कोठारी डॉ ताराचंद सोनी एवं सी ए रामगोपाल खंडेलवाल मौजूद थे कार्यक्रम में मौजूद सभी गुरुजनों ने इस अकल्पनीय कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की एवं सभी ने इस बात को विशेष रूप से रेखांकित किया कि उस युग के गुरु शिष्य संबंध को आज भी याद करके जीवंत बनाया जा रहा है जो कि भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी होगा।

कार्यक्रम के दौरान जिन दिवंगत गुरुजनों का स्मरण किया गया उनमें प्रमुख थे दिग्विजय कॉलेज के प्राचार्य श्री मेघनाथ कन्नौजे तथा प्रोफ़ेसर्स श्रद्धेय पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, श्री आर के तिवारी, एवं स्टेट हाई स्कूल के प्राचार्य श्री डी एन श्रीवास्तव तथा व्याख्यातागण श्री के एल तिवारी, श्री पी एन श्रीवास्तव, श्री बी एन चंद्राकर प्रमुख रहे।

मित्र परिषद के सदस्य श्री हर्मेंद्र वाधवा के भांजे श्री राम सुभाग सिंह जो कि हिमाचल प्रदेश के 1987 बैच के आई ए एस अधिकारी है एवं मुख्य सचिव रह चुके हैं वे भी उपस्थित थे एवं उनके द्वारा भी सभा को संबोधित किया गया।

वे कार्यक्रम से इतना अधिक प्रभावित थे कि उन्होंने बताया कि इस तरह के आयोजन वे हिमाचल प्रदेश में जाकर करेंगे। उनके लिए यह अत्यधिक विस्मयकारक था कि 50 साल बाद कोई विद्यार्थी कैसे अपने गुरु को याद कर सकता है और कम से कम ऐसे गुरुजनों को जो संसार में नहीं है उनके परिजनों को बुलाकर इस तरह का सम्मान का कार्यक्रम उनकी कल्पना से परे था।

कार्यक्रम के संयोजक श्री इन्दरचंद कोठारी एवं विद्यार्थियों की ओर से श्री आनंद तिवारी श्री सलीम सिद्दीकी, श्री कृष्णकांत बख्शी, श्री गोवर्धन बांगरे ने भी अपने विचार रखे। सामान्यतया कोई भी कार्यक्रम दो घंटे से अधिक की अवधि का नहीं हो पाता है लेकिन यह कार्यक्रम इतना भाव विभोर करने वाला था कि किसी को भी भोजन तक की सुध नहीं थी एवं प्रातः 11:30 बजे प्रारंभ हुआ कार्यक्रम 3:30 तक निर्बाध चलता रहा उसके पश्चात ही गुरुजन भोजन के लिए उठे।

कार्यक्रम कितना गरिमामय था वह इसी बात से प्रमाणित होता है कि स्व. श्री व्ही सी श्रीवास्तव जो यहां दिग्विजय कॉलेज में प्रोफ़ेसर थे उनकी पुत्री अपने पिता श्री के सम्मान का प्रतीक चिन्ह स्वीकार करने के लिए चंडीगढ से मात्र इसी प्रयोजन से पहुंची और रात्रि की ट्रेन से वापस रवाना हो गई। सभा को सभी उपस्थित गुरुजनों ने संबोधित किया एवं सभी ने अपने भाव प्रकट करते हुए यही कहा कि यह सब संस्कारधानी राजनांदगांव में ही संभव हो पाता है। सभा में सागर मध्य प्रदेश जैसे दूरस्थ अंचलों से भी शिक्षक उपस्थित हुए थे।

श्री विजय मोहन जैन द्वारा आभार प्रदर्शन करते हुए सभा का समापन किया गया कार्यक्रम का अत्यधिक गरिमामय संचालन आकाशवाणी एवं दूरदर्शन की उद्घोषिका रायपुर की श्रीमती शीरीन सिद्दीकी द्वारा किया गया । सभा को गुरुजनों के अलावा विशेष आमंत्रित श्री कनक तिवारी एवं डॉ पुखराज बाफना ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में श्री गिरीश बख्शी, पूर्व रजिस्ट्रार दिग्विजय महाविद्यालय मौजूद थे।

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