रायपुर. 16 जून 2022.talkwithshirin
बंद स्कूलों को दोबारा खोलने पर बस्तर के बच्चों ने मुख्यमंत्री को कहा‘धन्यवाद कका’ गोलियों की तड़-तड़ के स्थान पर अब गांवों में अआइई… की आवाज गूंज रही बड़ी संख्या में बरसों स्कूलों के बंद रहने से एक पूरी पीढ़ी शिक्षा से वंचित हुई, अब नए द्वार खुले बस्तर संभाग के चार जिलों में सैकड़ों बंद स्कूलों को दोबारा खोले जाने पर वहां के बच्चों ने cm भूपेश बघेल को धन्यवाद दिया है
मुख्यमंत्री के निवास कार्यालय में आज ऑनलाइन आयोजित राज्य स्तरीय शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के साथ ही मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले में पिछले 15 वर्षों में विभिन्न कारणों से बंद 260 स्कूलों को दोबारा खोलने की शुरूआत की। इनमें बीजापुर जिले के 158, सुकमा के 97, नारायणपुर के चार और दंतेवाड़ा का एक स्कूल शामिल है। इन स्कूलों में 11 हजार से अधिक बच्चे पढ़ेंगे। फिर से खुले इन स्कूलों में प्रवेशित बच्चों और उनके पालकों से आज वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात की।
बीजापुर के प्राथमिक शाला नयापारा, पढेडा में कक्षा तीसरी में भर्ती हुए राजेश मड़ियाम ने मुख्यमंत्री को बताया कि वह पढ़ने के लिए पहले चेरपाल जाता था। घर से स्कूल बहुत दूर था। बारिश के दिनों में स्कूल आने-जाने में भारी दिक्कत होती थी। उन्होंने घर के नजदीक ही स्कूल शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री को बहुत ही भोलेपन से ‘धन्यवाद कका’ कहा। उनके पिता श्री रमेश ताती ने बताया कि कुड़ेनार ग्राम पंचायत में पिछले 17 वर्षों से स्कूल बंद था। आसपास स्कूल नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई के लिए नदी, नाला और जंगल पार करते हुए दूर के स्कूलों में जाना पड़ता था। अब गांव में ही स्कूल खुल गया है और वहां गांव के ही शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
सुकमा जिले के कोंटा के प्राथमिक शाला करीगुंडम में पांचवीं में पढ़ने वाले मड़कम दुला ने भी मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब घर के पास स्कूल हो जाने से अच्छा लग रहा है। पढ़ाने के लिए गुरूजी भी आ रहे हैं। उनके पिता श्री मड़कम मासा ने बताया कि दोबारा शुरू हुए स्कूल में 50 बच्चे पढ़ रहे हैं। यह स्कूल वर्ष 2006 से बंद था। स्कुल खुल जाने से अभिभावक बेहद खुश है
मुख्यमंत्री को बताया कि गांव के स्कूल को नक्सलियों ने तोड़ दिया था। बच्चों को नदी-नाला पार कर गांव से बहुत दूर पढ़ने के लिए जाना पड़ता था। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले जहां गांव में गोलियों की आवाज गूंजती थी, वहीं अब स्कूलों से बच्चों की पढ़ाई के समवेत स्वर गूंज रहे हैं। और विद्यार्थी भविष्य का इतिहास गढते रहेंगे