विश्व कॉटन दिवस

Spread the love

दुनिया भर में तरह तरह के परिधान पहने जाते हैं इन वस्त्रों के रेशे दो तरह के होते हैं प्राकृतिक और संश्लेषित यानी कृत्रिम . प्राकृतिक रूप से प्राप्त रेशे हैं कपास , ऊन , रेशम , कोसा ,जूट आदि और कृत्रिम रेशे हैं एक्रिलिक , केवलर , मोडाक्रेलिक ,नोमेक्स , नायलॉन , पॉलिएस्टर ,स्पैन्डेक्स और रेयान इनके आलावा चमड़े और फ़र से भी वस्त्र तैयार किये जाते हैं . लेकिन दुनिया में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय हैं कपास और रेशम से तैयार कपड़े. भारत जैसे ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले देश में कपास से निर्मित सूती कपड़ों का चलन अधिक है .

Cottonआज विश्व कॉटन दिवस यानी विश्व कपास दिवस के अवसर पर पेश है 4TH पिलर्स की ये ख़ास रिपोर्ट

विश्व कॉटन दिवस पहली बार 2019 में 7 अक्टूबर को मनाया गया था . उद्देश्य था, कपास की खेती से लेकर इसके व्यापार , इसके रेशे तैयार करने के साथ ही कपास से निर्मित उत्पादों से जुड़े लोगों को एक मंच पर लाना.

पूरी दुनिया में कपास से रेशे और रेशों से कपड़े तैयार करने के साथ ही उनकी रंगाई , क़ताई और बुनाई के लिए कुटीर उद्योग से लेकर वृहद् पैमाने पर कपड़ा मिलें हैं जहाँ कपास के बने कपड़े तैयार किये जाते हैं . जिनमें शामिल हैं पहनने के कपड़े जैसे साड़ियाँ , धोती ,कुरते ,पायजामे इनके अलावा ओढ़ने बिछाने के कपड़े जैसे चादरें और रज्मारा के उपयोग में आने वाले परदे और तौलिये . कपास उद्योग से दुनिया की एक बड़ी आबादी को रोज़गार प्राप्त है.

हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कपास की महत्वपूर्ण उपस्थिति है. कपास पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत सुरक्षित और उपयोगी है . कपास के रेशों को मनचाहा रंग देना अपेक्षाकृत आसान है . मौसम कोई भी हो सूती कपड़े लोगों की पहली पसंद हैं . फिर चाहे मनभावन रंगों और डिज़ायनों की साड़ियाँ हों , क़मीज़ , धोती कुरता या सलवार हो कपास से बने सूती कपड़े बाज़ार में शीर्ष पर हैं .

मुख्य रूप से कपास रेशों के अनुसार तीन तरह की होती है लम्बे रेशे वाली , मध्यम रेशे वाली और छोटे रेशे वाली . इसका रेशा लेंट कहलाता है . कपास में मुख्य रूप से सेलुलोस होता है . कपास का एक लोकप्रिय नाम व्हाईट गोल्ड यानी सफ़ेद सोना भी है . कपास खरीफ़ के मौसम की एक नक़दी फ़सल है।

कपास का मूल स्थान भारत माना गया है। विश्व में कपास की दो क़िस्में पाई जाती हैं । भारत में पायी जाने वाली क़िस्म देशी कपास कहलाती है जबकि दूसरी क़िस्म को अमेरिकन कपास कहा जाता है .इसकी खेती के लिए काली मिट्टी बहुत उपजायु मानी गयी है .

हमारे देश में वैदिक काल में भी कपास के उपयोग का विवरण मिलता है .भारत में कपास की फ़सल के लिए महाराष्ट्र और पश्चमी निमाड़ सबसे आगे हैं . भारत में कपास की खेती क़रीब 90 लाख 40 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में होती है . भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में भी कपास का काफ़ी मात्र में उत्पादन होता है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *