गहलोत आज दोपहर रायपुर पहुंचे।वे एयरपोर्ट से सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचे।और अशोक गहलोत का आत्मीय स्वागत किया।
इस अवसर पर वनमंत्री श्री मोहम्मद अकबर, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू सहित छत्तीसगढ़ और राजस्थान के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
जानकारी के मुताबिक पत्रकार वार्ता में अशोक गहलोत जी से कई अहम् मुद्दों पर सवाल जवाब के दौरान अशोक जी ने अपनी बात रखी …
- सवाल- आज आप बैठक करने आए हैं, क्या कुछ चर्चा होगी?
जवाब- देखिए आपको मालूम है कि राजस्थान जो है रेगिस्तानी इलाके हैं हमारे वहां पर और वहां पर बिजली होती है थर्मल बेस्ड, हमारे वहां पर थर्मल प्लांट लगे हुए हैं ज्यादा, वो बिना कोयले के चल नहीं सकते, हमें डिपेंड रहना पड़ता है छत्तीसगढ़ पर ही, हालात ये हो गए हैं कि साढ़े 4 हजार मेगावाट बिजली के पावर प्लांट जो हैं अगर कोल सप्लाई नहीं हो यहां से तो वो बंद हो जाएंगे, आप सोच सकते हो कि कितना बड़ा क्राइसिस आएगा पूरे स्टेट के अंदर, कोई कल्पना नहीं कर सकता है। तो ये काफी लंबे अरसे से हम लोग मांग कर रहे हैं, मुख्यमंत्री जी से मेरी बात भी हुई थी, हमारे अधिकारी भी संपर्क में हैं यहां के अधिकारियों से, आज मेरे साथ में आए हैं एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू सीएम, सीएमडी और साथ में मेरे बिजली मंत्री भी आए हैं। तो हम लोग आज बातचीत करेंगे, उनको कन्विंस करेंगे कि हमें इतनी बड़ी आवश्यकता है क्योंकि हमारे वहां हाईड्रो तो है नहीं, जब हाईड्रो नहीं है, और कोई इलाज नहीं है, तो थर्मल बेस पर ही हम लोग चल रहे हैं, तो ये बड़ा संकट हमारे सामने पैदा हो गया है। पूरे प्रदेश की जनता इंतजार कर रही है कि कब छत्तीसगढ़ की सरकार हमें परमिशन करे, इसलिए हम आए हैं।
- सवाल- आप बात कर रहे हैं कि जनता इंतजार कर रही है कि जितनी जल्दी हो सके कोयला आए, वैसे ही यहां की जनता जैसे ही आप कोयला मांगने आए हैं वो प्रोटेस्ट कर रहे हैं कि हमारा एरिया है, जंगल है, बायो डायवर्सिटी जोन है?
जवाब- देखिए ऐसा है, आप ठीक कह रहे हैं, हर राज्य की अपनी समस्या होती ही होती है, हमें उसको भी एप्रिशिएट करना चाहिए। अगर यहां की समस्या कोई है, तो हम लोग भी उसको एप्रिशिएट करते हैं, पर पूरे मुल्क में जो है, जहां-जहां रिक्वायर्मेंट होती है, तो भारत सरकार सोच-समझकर ही देती है, परमिट करती है। ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने बिना पूछे हुए ही परमिशन दे दी हो और हम लोगों ने मांग कर ली हो। भारत सरकार का पर्यावरण मंत्रालय, फॉरेस्ट मिनिस्ट्री सबकुछ असेसमेंट करने के बाद परमिशन देती है। हमें परमिशन मिली हुई है, उसी की मांग कर रहे हैं। एरिया तो बहुत लंबे-चौड़े हैं, रिक्वायरमेंट बहुत बड़ी हो सकती है हमारी भी, हम इतनी ही मांग कर रहे हैं जितनी कि भारत सरकार ने असेसमेंट करने के बाद में भारत सरकार का पर्यावरण मंत्रालय, फॉरेस्ट मिनिस्ट्री सबने परमिट किया है, परमिशन दी है, अलॉटमेंट किया है कोल ब्लॉक, उसमें जो कोयला निकलेगा उतनी जगह की ही मांग कर रहे हैं हम लोग, ऐसा नहीं है, हम खुद जानते हैं इस बात को कि फॉरेस्ट एरिया जो है, जहां-जहां होगा वहां लोगों की दिक्कत आती भी है और लोग मांग भी करते हैं, पर डेवलपमेंट के लिए और बिजली के उत्पादन के लिए जो कोल की रिक्वायरमेंट है, उसको तो आपको पूरी करनी पड़ेगी न मतलब, कहीं पर भी हो।
- सवाल- क्या एजेंडा है आज कुछ?
जवाब- मीटिंग करेंगे, प्रदेशवासियों की तरफ से रिक्वेस्ट करेंगे, यहां के मुख्यमंत्री महोदय को, हमारे अधिकारी लोग आए हैं, भंवरसिंह भाटी हमारे बिजली मंत्री हैं ये आए हैं, हम लोग उनको कन्विंस करने का प्रयास करेंगे कि हमारी रिक्वायरमेंट किस तरह की है और कैसा क्राइसिस है। अभी कोयले को लेकर हम डेस्परेट हैं कि कैसे हमें जल्दी कोयला मिले, वरना हमारे पावर प्लांट बंद हो जाएंगे, बड़ी चुनौती है हमारे सामने, इसलिए हम आपके बीच में हाजिर हुए हैं।
- सवाल- अभी लगातार जिस तरह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल है, पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ रही हैं, केंद्र सरकार का नियंत्रण नहीं है क्या महंगाई पर?
जवाब- देखिए पेट्रोल और डीजल के लिए भारत सरकार जिस
- प्रकार से रेट बढ़ा रही है लंबे अरसे से, वो उचित नहीं कहा जा सकता, उन्होंने बल्कि राज्यों के साथ में अन्याय किया है। जो डिविजन पूल होता है, एक्साइज ड्यूटी होती है, बेसिक एक्साइज ड्यूटी, उसका पैसा जो आता है एक्साइज का भारत सरकार में, वो बंटता है, राज्यों में बंटता है, उसको तो उन्होंने बिलकुल मिनिमम कर दिया है और एडिशनल एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एक्साइज ड्यूटी और सेस लगा दिया है, वो जो था उसको बढ़ा दिया, उसमें राज्यों का हिस्सा नहीं है। तो एक प्रकार से भारत सरकार ने लंबे अरसे तक लूटने का काम किया है जब रेट आप बताइए अंतर्राष्ट्रीय कीमतें बहुत कम आ गई थीं, यूपीए गवर्नमेंट में जब बढ़ गई थीं, ये लोग हल्ला करते थे, मोदी जी हल्ला करते थे और जब इनकी सरकार आ गई, अंतर्राष्ट्रीय कीमतें 110 से 45 पर भी आ गईं डॉलर प्रति बैरल, तब भी कोई कम नहीं किया गया और रेट बढ़ती गई, बढ़ती गई और ये बढ़ाते गए लगातार, एक्साइज बढ़ाते गए लगातार। उसके कारण से बाद में अब चुनाव आए 5 राज्यों के, उससे पहले इन्होंने पहली बार कम करने की कोशिश की, वो भी बहुत मामूली कम किया, चुनाव थे 5 राज्यों के चल रहे थे, जानबूझकर के इन्होंने उस वक्त प्राइस नहीं बढ़ाए जबकि मालूम था कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतें बढ़ रही हैं। तो तमाम जो आर्टिकल आ रहे हैं अखबारों के अंदर भी, वो भी इन्हीं की आलोचना कर रहे हैं, ये राजनीति हो रही है उससे हमारे देश को नुकसान हो रहा है।
- सवाल- आप लोगों ने आशंका जाहिर की थी कि 5 राज्यों के चुनावों के बाद महंगाई भी बढ़ेगी, पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी, अब महंगाई लगातार बढ़ रही है। आप लोगों का कुछ प्लानिंग है कि देशभर में इसको लेकर सरकार के खिलाफ कुछ आंदोलन वगैरह शुरू कर रहे हैं?
जवाब- आंदोलन कर रहे हैं हम तो, सब राज्यों में कर रहे हैं और देखिए आप, महंगाई हद पार कर गई है, बेरोजगारी के अंदर तो विस्फोटक स्थिति बन रही है, हाहाकार मच गया है, नौजवान लोग सड़कों पर आ रहे हैं, क्या हो रहा है देश के अंदर? सब लोग जानते हैं कि जिस प्रकार से महंगाई बढ़ती जा रही है, इनके काबू में ही नहीं है। अभी तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने लग गए हैं, गैस के दाम बढ़ गए हैं, कोई जवाब इनके पास में नहीं है, चुनाव खत्म होते ही कंपनियों को छूट दे दी गई है, पहले रोक लगी हुई थी, ये इनकी राजनीति है।
- सवाल- यहां भी विधानसभा चुनाव के पहले राहुल गांधी कुछ इलाकों में गए थे, उन्होंने आश्वस्त किया था कि ये चीजें नहीं होंगी, जिस तरह से कोयला खदान को लेकर, वहां पर माइन्स नहीं होंगी और पदयात्रा जो आदिवासी कर रहे थे, वो इसी बात को लेकर कर रहे थे, विरोध कर रहे थे?
- जवाब- देखिए राहुल गांधी जी की सोच बिलकुल ठीक है, वो चाहे छत्तीसगढ़ गए हों, या ओडिशा गए हों, तब भी उन्होंने कहा कि आदिवासियों के हितों की रक्षा होनी चाहिए, उस पर आज भी हम लोग खुद अटल हैं, पर भारत सरकार जो कोयला ब्लॉक देती है कहीं पर मान लीजिए, जैसा मैंने आपको कहा कि पूरे देश के अंदर असेसमेंट करने के बाद में जितना संभव होता है उतना ही कोल ब्लॉक मिलता है, राज्यों को मिलता है, ये कोल ब्लॉक भी राज्य सरकार को अलॉटमेंट किया हुआ है, महाराष्ट्र को अलग किया हुआ है, हर राज्य को किया हुआ है, गुजरात को किया हुआ है, उसके अकॉर्डिंग टू हम लोग मांग कर रहे हैं, हम भी नहीं चाहेंगे कि जन भावनाओं आदर नहीं हो, हम भी चाहेंगे कि उनका आदर हो।
- सवाल- कश्मीर फाइल्स जो फिल्म है उसको लेकर जो राजनीति हो रही है, उसको कैसे देखते हैं?
- जवाब- देखिए, ये देश किस दिशा में जा रहा है और किस दिशा में जाएगा, कोई नहीं कह सकता, जो राज चल रहा है, शासन चल रहा है देश का, संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं, लोकतंत्र खतरे के अंदर है, ये तो एक मुद्दा है, पर जिस प्रकार से सरकार की सोच है, कहीं लिंचिंग हो रही है, कहीं पर फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं, कहीं पर ईडी के, इनकम टैक्स के, सीबीआई के छापे पड़ रहे हैं पूरे देश के अंदर, आतंक मचा रखा है सरकार ने, जहां-जहां चुनाव आते हैं वहां-वहां छापे शुरू हो जाते हैं, खुले रूप में छापे पड़ रहे हैं, तो आप सोच सकते हो कि किस दिशा में हम जा रहे हैं, ये चिंता का विषय हर नागरिक का होना चाहिए, युवाओं का होना चाहिए। अगर देश को बचाना है तो सबको सोचना पड़ेगा कि वास्तव में क्या स्थिति है देश के अंदर, धन्यवाद।