रायपुर: चैत्र शुक्ल नवमी के दिन भगवान राम का अवतार (जन्म) हुआ था.भगवान राम अनेक नामों से जाना जाता है हमारे राम जन जन के राम , युग पुरुष, आर्य श्रेष्ठ, सूर्यवंशी, रघुवंशी, कोशल्या नंदन राम, तुलसीदास जी लिखते हैं, नौमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजीत हरि प्रीता मध्य दिवस अति धूप न घामा, प्रकटे अखिल लोक विश्रामा.
राम नवमी के दिन पूरे देश में राम जन्म के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित बड़े ही हर्षौल्लास के साथ किया जा रहा है , हमारे अराध्य भगवान राम की स्मृतियों को सहेजते हुए यहां की संस्कृति को विश्वस्तर पर नयी पहचान दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना शुरू की है।
पहले चरण में विकास के लिए चुने गये 9 में से 2 स्थानों में पर्यटन सुविधाओं के विकास तथा सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो गया है। इनमें से मां कौशल्या धाम चंदखुरी के विकास कार्यों का लोकार्पण गत वर्ष 07 अक्टूबर को किया गया था, अब 10 अप्रैल को रामनवमीं के शुभ अवसर पर शिवरीनारायण में पूर्ण हो चुके विकास कार्यों का लोकार्पण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करने जा रहे हैं।
शिवरीनारायण वही स्थान है जहां भगवान राम ने मां शबरी के जूठे बेरों को ग्रहण किया था। शिवरीनारायण को भारत का पांचवां धाम और गुप्त तीर्थ कहा जाता है। महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम तट पर बसे शिवरीनारायण नगर में 11 शताब्दी के राजाओं के मंदिर बनाया गया था। यहां पर छठवीं शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी तक की प्रतिमाएं स्थापित हैं। शिवरीनारायण का महत्व रामायणकालीन होने की वजह से यह नगर श्रद्धालुओं के लिए भी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है।
भगवान राम की आस्था के अनुसार रंग रोगन किया गया
श्रद्धालुओं के आराम करने के लिए भवन निर्माण किया गया है।
मंदिर के विशाल द्वार का जीर्णोद्धार किया गया है।
मंदिर परिसर के भीतर ही विशाल दीप स्तंभ का निर्माण किया गया है।
शिवरीनारायण नगर का अस्तित्व हर युग में रहा है। यह नगर मतंग ऋषि का गुरूकुल आश्रम और माता शबरी की साधना स्थली भी रही है। यह महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिधारा संगम के तट पर स्थित प्राचीन नगर है। शिवरीनारायण प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण नगर है, जो छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी धाम के नाम से विख्यात है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु राम ने शबरी के जूठे बेर यहीं खाये थे और उन्हें मोक्ष प्रदान किया था। इन सारी बातों को जीवंत रूप देने के लिए मंदिर परिसर के बाहर रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया है। इससे मंदिर दर्शन करने आए श्रद्धालुओं के मानस पर शिवरीनारायण की अमिट छाप पड़ेगी। इंटरप्रिटेशन सेंटर के बाद स्थित दो वृक्षों के बीच में भगवान राम को जूठे बेर खिलाती हुयी माता शबरी की प्रतिमा स्थापित की गयी है जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनने जा रही है।
शिवरीनारायण नगर का अस्तित्व हर युग में रहा है। यह नगर मतंग ऋषि का गुरूकुल आश्रम और माता शबरी की साधना स्थली भी रही है। यह महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिधारा संगम के तट पर स्थित प्राचीन नगर है। इन सारी बातों को जीवंत रूप देने के लिए मंदिर परिसर के बाहर रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया है। इससे मंदिर दर्शन करने आए श्रद्धालुओं के मानस पर शिवरीनारायण की अमिट छाप पड़ेगी।
इंटरप्रिटेशन सेंटर के बाद स्थित दो वृक्षों के बीच में भगवान राम को जूठे बेर खिलाती हुयी माता शबरी की प्रतिमा स्थापित की गयी है जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनने जा रही है। इसी जगह पर पर्यटकों के लिए सूचना केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है जिससे श्रद्धालु शिवरीनारायण और आस-पास के पर्यटन क्षेत्रों की और जानकारी हासिल कर सकें।