महाशिवरात्रि पर शिवयोग का अद्भुत संयोग, इस मुहूर्त में भोलेनाथ का करें जलाभिषेक

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ग्राम रोलगांव के भगवान भोलेनाथ

हरदा: महादेव, महादेव, शिव शंकर, शंभू, महेश, शिव आप उन्हें कई नामों से पुकार सकते हैं. वो देवों के देव भी हैं और भूतनाथ भी, वो नीलकंठ भी हैं और भोलेनाथ भी. उनकी अराधना का सबसे बड़ा दिन आज है जिसे जिसे महाशिवरात्रि कहा (Mahashivratri on 1st March) जाता है. इस दिन महादेव के भक्त व्रत रखते हैं और शिवालयों में पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं.

दिन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:10

शिव योग में महाशिवरात्रि-

इस बार महाशिवरात्रि शिव योग में है. 01 मार्च को शिव योग दिन में 11:18 बजे से प्रारंभ होगा और पूरे दिन रहेगा. शिव योग 2 मार्च को सुबह 8:21 बजे तक रहेगा. शिव योग को तंत्र या वामयोग भी कहते है. धारणा, ध्यान और समाधि अर्थात योग के अंतिम तीन अंग का ही प्रचलन अधिक रहा. शिव कहते हैं ‘मनुष्य पशु है’ पशुता को समझना ही योग और तंत्र का प्रारंभ माना गयाय योग में मोक्ष या परमात्मा को पाने के तीन मार्गों को बताया गया. जागरण, अभ्यास और समर्पण.

पूजा की सामग्री– भगवान भोले की आराधना के समय बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, मदार पुष्प, सफेद फूल, गंगाजल, गाय का दूध, मौसमी फल, आदि सामग्रियां रखें और विधिपूर्वक भोलेनाथ का पूजन करें. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, कष्ट एवं संकट दूर हो जाते है. भोले नाथ की कृपा से आरोग्य प्राप्त होता है, सुख, सौभाग्य बढ़ता है.

महाशिवरात्री से जुड़ी पौराणिक कथाएं-

महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. शिव का लिंग अवतार- धर्म ग्रंथों की मानें तो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव ने अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे. एक कथा के मुताबिक जब सृष्टि की शुरुआत हुई तब ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच अपनी श्रेष्ठता को लेकर बहस हुई. दोनों का विवाद चल रहा था तभी करोड़ों सूर्य की चमक लिए एक विशाल अग्नि स्तंभ प्रकट हुआ. जिसे देखकर दोनों स्तब्ध रह गए. इस अग्निस्तंभ से भगवान शंकर ने पहली बार शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए. शिवपुराण के मुताबिक शिवजी के निष्कल (निराकार) स्वरूप का प्रतीक ‘लिंग’ इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था. इसी कारण यह तिथि ‘शिवरात्रि’ के नाम से विख्यात हो गई

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