भाजपा के जनकल्याणकारी नीतियों की जीत

Spread the love

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल कर एक बार फिर कथित सियासी पंडितों को चौका दिया है. इस जीत ने पुन: भाजपा के अंत्योदय व जनहितैषी नीतियों की सामाजिक स्वीकार्यता को प्रमाणित किया है. वहीं कांग्रेस की झूठ और बांटो और राज करो की नीति को तिलांजलि दे दी है. छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की जीत ने साबित कर दिया है की राजनीतिक नेतृत्व की साख कितनी महत्वपूर्ण है.

महिला वोटरों ने भी इस बात को साबित कर दिया है कि राजनीति अब जुमले और नारों से नहीं अपितु जमीनी स्तर पर जनकल्याणकारी योजनाओं की उपस्थिति पर केंद्रित होगी.

भाजपा ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंत्योदय के लक्ष्य पर चुनाव लड़ा. स्थानीय नेतृत्व को व्यक्ति के हित में राजनीतिक शुचिता का विमर्श खड़ा किया है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने विगत पांच वर्ष में जिस प्रकार सिर्फ लोकलुभावन और भ्रम पैदा कर आडंबर की राजनीति की है, उससे जनता ने ख़ारिज तो किया ही अपितु राजनीतिक दलों के लिए छत्तीसगढ़ का जनादेश एक संदेश भी है. एक ऐसा सियासी संदेश जिसमें राजनीतिक दलों को यह समझना होगा की राजनीति अब जुमले और नारों से नहीं अपितु जमीनी स्तर पर जनकल्याणकारी योजनाओं की उपस्थिति पर केंद्रित होगी.

एक ऐसा तबका जो राजनीतिक दलों के लिए सियासी रूप से हमेशा अस्पृश्य था, उसे एकात्ममानववाद पर केंद्रित नीतियों व योजनाओं ने समाज की मुख्यधारा में ला कर खड़ा कर दिया है.

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने आदिवासी, दलित समेत समाज के सर्वहारा वर्ग के हित में जिस तरह प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन, उज्ज्वला, आयुष्मान, गरीब कल्याण योजना, मुद्रा योजना समेत अनेक योजनाएं संचालित कर रही है, उससे भाजपा ने वंचित वर्ग की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त किया है.

भाजपा के नेतृत्व में भी ऊर्जा का संचार हुआ. संगठन ने जिस तरह मतदाताओं के साथ आत्मीय संबंध स्थापित किया, उसकी फलश्रुति चुनाव परिणाम में सामने आया.

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का छत्तीसगढ़ की जनता के साथ आत्मीयता किसी एक चुनावी रैली या कार्यक्रम की वजह से नहीं है. उनके ह्दय से छत्तीसगढ़ महतारी के लिए समय-समय पर प्रस्फुटित होने वाली आत्मीयता की धारा आध्यात्मिक एवं नैसर्गिक है. यही वजह है कि पीएम मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ की जनता के साथ जब-जब संवाद हुआ वह, प्रतिबद्धता की गारंटी बन गया. इससे राज्य के स्थानीय

एक तरफ जहां कांग्रेस जाति और सम्प्रदाय की राजनीति करती नज़र आईं वहीं छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय नेतृत्व ने भाजपा में अनुभवी और नए दोनों ही लीडरशिप को उभारने का काम किया.

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने किसानों के लिए धान का बोनस 3100 रु प्रति क्विंटल करने की घोषणा की. ऐसा नहीं है की कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने का प्रयास नहीं किया लेकिन पीएम मोदी के मुखारबबिंद से निकले शब्द जनताजनार्दन के बीच प्रतिबद्धता के रूप में लिए गए.

इसी तरह बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि राज्य में 5500 रुपए प्रति मानक बोरा तेंदूपत्ता की खरीदी होगी. इसका लाभ राज्य के लाखों वनवासियों को प्राप्त होगा. इससे उनकी आजीविका सुनिश्चित होगी. दरअसल भाजपा की घोषणाओं को यदि मतदाताओं ने घोषणा की जगह वचन माना तो इसके पीछे भाजपा की वह वैचारिक प्रतिबद्धता है, जो उसने वर्षों की कार्यशैली रीति और नीति से अर्जित की है. भाजपा नेतृत्व की आज जो लोककल्याणकारी साख है, वह एकात्ममानववाद के मार्ग पर चरैवेती की साधना से प्राप्त हुई है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *