बिशप हाउस और नवा बिहान कल्याण समिति अंबिकापुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया

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विगत एक अक्टूबर को अंबिकापुर में , बिशप हाउस और नवा बिहान कल्याण समिति अंबिकापुर के संयुक्त तत्वावधान में , छत्तीसगढ़ राज्य में व्याप्त अल्प संख्यकों की समस्याओं पर विचार विमर्श करने और उनके समाधान के उद्देश्य से एक , एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया किया गया जिसका विषय था

“वर्तमान परिवेश में छत्तीसगढ़ राज्य में अल्प संख्यकों के ज्वलंत मुद्दे” कार्यक्रम के मुख्य अथिति थे रायपुर स्थित सर्व आस्था मंच के संचालक और ऑल मुस्लिम वेलफ़ेअर सोसायटी के संरक्षक , युवा अधिवक्ता जनाब फ़ैज़ल रिज़वी .कार्यक्रम की अध्यक्षता की अंबिकापुर की भारतेन्दु हरिश्चंद्र साहित्य एवं कला समिति के संयोजक द्वितेंद्र मिश्र ने .

मृगेंद्र सिंह अधिवक्ता ऑल मुस्लिम वेलफ़ेअर सोसायटी के संरक्षक , युवा अधिवक्ता जनाब फ़ैज़ल रिज़वी के साथ
इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों के साथ मांदर, ढोल की थाप का मज़ा लिया

इस कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि थे ख्रीस्त मिलन आश्रम के बिशप पतरस मिंज और रायपुर स्थित अनुसूचित जन जाति आयोग के सदस्य फ़ादर अमृत टोप्पो . छत्तीसगढ़ राज्य में व्याप्त अल्प संख्यकों की समस्याओं पर केन्द्रित इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने आये युवा अधिवक्ता जनाब फ़ैज़ल रिज़वी ने इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों के अलावा अंबिकापुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार जनाब हाजी अब्दुल रशीद सिद्दीक़ी से भी सौजन्य भेंट की

.ज्ञात हो कि , जनाब हाजी अब्दुल रशीद सिद्दीक़ी का शुमार अंबिकापुर ही नहीं बल्कि देश के महत्वपूर्ण कथाकारों में होता है .फ़रवरी 1936 में अंबिकापुर में ही जन्मे जनाब हाजी अब्दुल रशीद सिद्दीक़ी पेशे से एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं लेकिन समाज सेवा और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उनका उल्लेखनीय योगदान है .अंबिकापुर शहर की सामाजिक , सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों में उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति सदा बनी रहती है

उनकी महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं : रहमतुललिलआलेमीन , यादों के दरीचे , भारत में इस्लामिक शिक्षा के केंद्र , बाबा मुरादशाह व मोहब्बतशाह रह. सूफ़ीवाद एक खोज इसके अलावा प्रकाश्य कृति है सरगुजा एक खोज :एतिहासिक एवं राजनैतिक . हाजी अब्दुल रशीद सिद्दीक़ी साहब के कहानी संग्रह का शीर्षक है

शिकार पुल एवं अन्य कहानियां . बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हाजी अब्दुल रशीद सिद्दीक़ी साहब के लेखन का कैनवस बहुत विस्तृत और विविधता पूर्ण है . इस्लाम और सूफ़ीवाद पर उनका गहन अध्ययन है . यही नहीं ऐतिहासिक और राजनैतिक सन्दर्भ में सरगुजा पर किया गया उनका शोध इस अंचल के अध्येताओं के साथ ही इस विषय में रूचि रखने वाले पाठकों के लिए भी उपयोगी साबित होगा .

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