
06 नवम्बर 2022/ छत्तीसगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा यूनिसेफ और विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बच्चों के हित संरक्षण के लिए नई पहल करते हुए पहली बार जिलों के किशोर न्याय बोर्ड, बाल कल्याण समितियों के अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला बाल संरक्षण इकाई को एक मंच पर लाया गया। इससे संस्थाओं द्वारा किये जाने वाले कार्यों में तेजी और स्पष्टता आएगी।

बैठक में किशोर न्याय अधिनियम (बालकों की देखरेख और संरक्षण) 2015 तथा पॉक्सो एक्ट (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) 2012 और उनके प्रावधानों के क्रियान्वयन, उन्हें लागू करने में आने वाली दिक्कतों पर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान लंबित मामलों के निराकरण के लिए आवश्यक सुझाव दिए गए। बैठक में न्यायाधीशों और अधिकारियों ने बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए बजट के सीधे प्रवाह, किशोर न्याय बोर्ड में वीडियो कांफ्रेसिंग सुविधा, पुलिस द्वारा समय पर चालान प्रस्तुत करना, पीड़ित की पहचान उजागर न करने जैसे कई सुझाव दिए।

इस त्रैमासिक समीक्षा बैठक सह कार्यशाला में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष श्री गौतम भादुड़ी, छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्रीमती तेजकुंवर नेताम, यूनिसेफ के राज्य प्रमुख श्री जॉब जकारिया, आईजी पुलिस डॉ. संजीव शुक्ला और महिला एवं बाल विकास विभाग के विशेष सचिव श्री पोषण चंद्राकर भी उपस्थित थे।

- कार्यशाला में नेताम जी ने कहा बच्चों सुरक्षा,शिक्षा और सुपोषण जैसा अधिकार उन्हें दिया जाना चाहिए जो हर बच्चें का अधिकार हैं।
- बच्चों की सुरक्षा और सुपोषण के लिए राज्य सरकार ने व्यवस्था की है
- बेटियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
- बच्चों में बढ़ते मोबाइल और मादक पदार्थों के नशे पर नियंत्रण के लिए न्यायाधीश श्री भादुड़ी से अनुरोध किया गया ।
- पहले नैतिक कहानियों की प्रेरक पुस्तकें बच्चों के हाथ मे होती थी। अब उसका स्थान मोबाइल ने ले लिया जिससे उनका बचपन खत्म हो रहा है।।
- बच्चों का अधिकार सुरक्षित करना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है।