शहर की चहल-पहल के बीच पत्थर की ऊंची-ऊंची दीवारों के भीतर लोहे की सलाख़ों के उस पार आँखों में उम्मीद और दिलों में ख़ुशी की हसरत लिए एक उदास दुनिया है . इनकी ठहरी हुई ज़िदगी में कोई हलचल नहीं है . कुछ को सलाख़ों से बाहर आने का इंतज़ार है और कुछ को सलाख़ों के पीछे ही काटनी है अपनी बची हुई उम्र .
जेल की इस अँधेरी दुनिया में ही ख़ुशी और उम्मीद की रौशनी बिखेरने का काम का काम कर रही है ख़ुशी फाउंडेशन जिसकी संस्थापिका हैं बिलासपुर में डेप्युटी एड्वोह्केट जनरल हमीदा सिद्दीक़ी .
रायपुर स्थित केन्द्रीय कारागार के महिला प्रकोष्ठ में , महिला बंदियों और जेल में ही उनके साथ रहने वाले उनके छोटे बच्चों के लिए ख़ुशी फाउंडेशन और छत्तीसगढ़ स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह का समापन आज 18 दिसंबर को , बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश और छत्तीसगढ़ स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति माननीय गौतम भादुड़ी जी के मुख्य आतिथ्य और गरिमामय उपस्थिती में संपन्न हुआ
इस अवसर पर नवा रायपुर स्थित हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवार्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफ़ेसर (डॉ.) वी.सी.विवेकानंदन गेस्ट ऑफ़ ऑनर के रूप में मौजूद थे .
ख़ुशी फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के समापन समारोह में उपस्थित विधि जगत की अन्य गणमान्य हस्तियाँ थीं , रायपुर के ज़िला एवं सत्र न्यायधीश न्यायमूर्ति श्री अब्दुल ज़ाहिद क़ुरैशी , रायपुर परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री हेमंत साराफ़ , मेम्बर सेक्रेटरी (एसएलएसए) श्री आनंद प्रकाश वारियाल , मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रायपुर श्री दिग्विजय सिंह , सेक्रेटरी (एसएलएसए) श्री प्रवीण मिश्रा और डेप्युटी सेक्रेटरी (एसएलएसए) श्री गिरीश मंडावी.
इस अवसर पर रायपुर के प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पत्रकार और कारागार स्टाफ़ और प्रतिभागी भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे . ख़ुशी फाउंडेशन का सूत्र वाक्य है “ख़ुशी पर सबका हक़ है” . कारागार की महिला बंदियों और उनके साथ ही जेल में रहने वाले उनके बच्चों के लिए ख़ुशी बांटने के उद्देश्य को लेकर आयोजित