रायपुर, 29 अप्रैल 2023/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को विश्वप्रसिद्ध सोरबोन यूनिवर्सिटी द्वारा छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सीमित एवं स्थानीय संसाधनों की उपयोगिता के साथ आगे बढ़ाने की विशिष्ट पहल के लिए डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया। मुख्यमंत्री श्री बघेल आज श्री अरोबिंदो फाउंडेशन द्वारा राजधानी रायपुर स्थित होटल सायाजी में आयोजित सोरबोन यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस, फ्रांस के कार्यक्रम ’ग्लोबल अवार्ड्स 2023’ में शामिल हुए। इस अवसर पर इसरो के पूर्व वैज्ञानिक सुरेश कुमार, सोरबोन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. विवेक, श्री अरोबिंदो योग एवं नॉलेज फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ. समरेन्द्र घोष, डॉ. बी.के. स्थापक, डॉ. संदीप मारवाह, डॉ. विनय अग्रवाल भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की धर्मपत्नी श्रीमती मुक्तेश्वरी बघेल एवं उनके परिवार के लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि फ्रांस की प्रतिष्ठित सोरबोन यूनिर्विसिटी ने छत्तीसगढ़ शासन के विकास कार्यक्रमों को सराहा है और मुझे आज डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा है, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। जब काम करना शुरू किया तो बस ये चाह थी कि अच्छा काम करते रहना है। काम करते गए और रास्ता निकलता गया। ये उपाधि जरूर मुझे मिली है लेकिन इसके पीछे योगदान मेरे परिवार वालों का है। जनप्रतिनिधियों का है अधिकारी-कर्मचारियों का है। यह सम्मान छत्तीसगढ़ के सभी मेहनतकश लोगों का सम्मान है जिन्होंने अपने श्रम से छत्तीसगढ़ को खड़ा किया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज मेरा परिवार भी साथ है। सबसे अच्छी बात है कि मेरा पोता भी साथ है। मेरे घर में एक किताब विनोबा जी की है। उसमें उन्होंने लिखा है कि भारत में महात्मा गांधी, रविन्द्र नाथ, रामकृष्ण परमहंस जैसी विभूति रही हैं और उनका योगदान हमारी मनीषा को बनाने में है। बिना अस्त्र के लड़ाई की कल्पना संभव है क्या, महात्मा गांधी ने इसे साकार किया। अरोबिंदो के योगदान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब आप निर्लिप्त भाव से कर्म करेंगे तो द्वेष रहित होकर काम करेंगे। जो लोग नैतिकता को प्रधानता देते हैं। वे धन से दूर होते हैं। श्री माँ ने कहा कि नैतिक लोगों को धन से दूर नहीं होना चाहिए। उनके हाथ में धन होगा तो वे सार्थक उपयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा छत्तीसगढ़ भौगोलिक रूप से समृद्ध प्रदेश से हैं। हमारे पास जंगल है। हिमालय के बाद सबसे अधिक नाले हमारे यहां हैं। हमारे यहां खनिज संसाधन पर्याप्त है। दुनिया भर में बैटरी गाड़ी की डिमांड हो रही है और हमारे यहां लिथियम है। आरबीआई के सर्वे के मुताबिक हमारे यहां गरीबी रेखा के नीचे बड़ी आबादी है। उद्योग भी है फिर भी गरीबी है। देश के आकांक्षी जिलों में 10 हमारे यहां है, दंतेवाड़ा और कोरबा में प्लांट भी हैं फिर भी इन जिलों में गरीबी है। यह सब देखते हुए एक नए समाधान की दिशा में काम करने की जरूरत थी। इन संसाधनों का प्रभावी उपयोग जरूरी था और हम सबने इसके लिए नीति बनाई। केवल उद्योग धंधों को बढ़ाने से बात नहीं बनती इसलिए हमने प्रकृति को सहेजते हुए विकास कार्य करने का निश्चय किया।