ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह बात कही है। शोधकर्ताओं ने दक्षिण एशिया में दस्तक देने वाले और सबसे ज्यादा तबाही मचाने वाले 2020 के सुपर साइक्लोन अम्फान की पड़ताल की। साथ ही ग्लोबल वार्मिग के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि समेत विभिन्न परिस्थितियों को देखते हुए भविष्य में सुपर साइक्लोन के प्रभाव को लेकर अनुमान जताया।
ब्रिटेन की ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में जताया अनुमान क्लाइमेट रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में कहा गया है कि मौजूदा दर से ही ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता रहा तो 2020 की तुलना में भारत के ढाई गुना ज्यादा लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ेगा। ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट साइंस के प्रोफेसर व अध्ययन के प्रमुख लेखक डैन मिशेल ने कहा कि दक्षिण एशिया जलवायु की दृष्टि से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में से है। यहां सुपर साइक्लोन से लाखों लोगों की जान जा चुकी है।
पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में मई की दोपहर में पहुंचा। इस दौरान हवा की रफ्तार 195 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है और इससे काफी नुकसान की आशंका है। भारत में इससे पहले ऐसा चक्रवाती तूफान 1999 में आया था। केंद्र सरकार और नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) ने सोमवार को यह चेतावनी जारी की।
भारतीय मौसम विभाग ने समुद्र में चार से छह मीटर ऊंची लहरें उठने की आशंका जताई है। इससे उत्तर और दक्षिण 24 परगना के निचले इलाके में पानी भर सकता है। पश्चिमी मिदनापुर में तीन से चार मीटर ऊंची लहरें उठने की आशंका है। तूफान के कारण दूरसंचार सेवाएं बाधित हो सकती हैं। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने संबंधित विभागों को तैयार रहने को कहा है ताकि जल्द से जल्द सेवाएं दोबारा शुरू की जा सकें। राहत और बचाव कार्यों के लिए तटरक्षक बल और नौसेना ने पोत और हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं। सेना और वायुसेना को भी तैयार रहने को कहा गया है।