बलौदाबाजार-भाटापारा : जेल के कैदी अपराध छोड़ खेती में रम गये.
जेल में ही कैदियों को दी जा रही थी खेती किसानी के अनेक अडवांस तरीके जिसमे शामिल है मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग, मिली जानकारी के अनुसार अब राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना गौधन न्याय एवं सुराजी गांव योजना के अंतर्गत अब गोबर गैस से जेल में खाना बनेगा, जेल के भीतर 10 बिस्तर हॉस्पिटल की प्रारंभिक तैयारी पूरी कर ली गई है जिला मुख्यालय स्थित उपजेल में कैदियों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के बाद अब मशरूम का भी उत्पादन होने लगा है।
एक सप्ताह में मशरूम की पहली खेप निकल जाने की उम्मीद है। वर्तमान में एक छोटे से बैरक में इसका उत्पादन किया जा रहा है आने वाले दिनों में कुछ खाली पडे़ बैरकों में भी मशरूम उत्पादन कार्य का विस्तार किया जायेगा जिसका बेहतरीन प्रतिसाद मिलने वाला है,क्योंकि इस काम में सभी कैदी अपनी पूरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिससे उनके व्यक्तित्व में भी दिनों दिन सुधार देखने मिल रहा है
साथ ही इसके अतिरिक्त क्रेडा द्वारा 6 लाख 30 हजार रुपये का बायो गैस लगाने की तैयारी अंतिम चरण में है। जिसका उपयोग यहां पर खाना बनाने में किया जाएगा। साथ ही जेल के भीतर ही अतिरिक्त बैरक में 10 बिस्तर का अस्पताल एवं डॉक्टर के लिए कक्ष को तैयार कर लिया गया है। जहां पर मरीजों को प्रारंभिक स्वास्थ्य की चिकित्सा हर समय उपलब्ध रहेगी। जेल प्रशासन व कलेक्टर डोमन सिंह ने बडे बदलाव के रूप में देखा
साथ ही मानसून के समय नगर पालिका परिषद बलौदाबाजार द्वारा जेल के चारो तरफ ब्लॉक प्लांनटेंशन का भी कार्य करवाया जायेगा।
गौरतलब है कि कलेक्टर डोमन सिंह के निर्देश पर जेल के भीतर कैदियों को भी स्वरोजगार से जोड़ते हुए उन्हें वर्मी कंपोस्ट निर्माण, मशरूम उत्पादन एवं अन्य रोजगार मूलक गतिविधियों को प्रारंभ की गयी हैं। इसके तहत प्रथम चरण में 40- 40 चयनित कैदियों को वर्मी कंपोस्ट एवं पोषण बाड़ी निर्माण का प्रशिक्षण सतत रूप से दिया जा रहा है। इन्हीं कैदियों के द्वारा ही परिसर में ही अस्थायी टैंक द्वारा वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया गया है।
सहायक जेल अधीक्षक अभिषेक मिश्रा ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश एवं सतत मार्गदर्शन से गौधन न्याय योजना के तहत गतिविधियों को प्रारंभ किया गया है। मुझे बेहद खुशी है की इसके अब सकारात्मक परिणाम देखने मिल रहें है। मानसिक स्थिती में सुधार- मनोचिकित्सक डॉ राकेश प्रेमी ने बताया कि कैदियों को ऐसे प्रशिक्षण एवं कार्याे में लगाने से सकारात्मक सुधार उनके व्यवहार में होता है।