
ये वार्षिक तीर्थयात्रा (Amarnath Yatra) दो साल के अंतराल के बाद 30 जून को शुरू होने वाली है. इस बैठक में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव एके भल्ला, सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह, डीजी बीआरओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी सहित बीएसएफ और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल हुए. साथ ही इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ अरविंद कुमार और जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी बैठक में हिस्सा लिया है.

अमरनाथ यात्रा की तैयारियों और सुरक्षा स्थिति को लेकर ये बैठक ऐसे वक्त पर हुई है, जब हाल ही में कश्मीरी पंडित समुदाय के राहुल भट्ट की उनके दफ्तर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद से घाटी में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहा है. बडगाम में उन्हें गोली मारे जाने के बाद से लोग सड़कों पर उतर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके बाद से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता बढ़ गई है.ऐसा कहा जा रहा है कि बैठक में सुरक्षा स्थिति को लेकर विस्तार से चर्चा की गई है.

इससे पहले साल 2019 में ये यात्रा हुई थी. लेकिन बाद में कोरोना वायरस महामारी के कारण इसपर रोक लगा दी गई. गृह मंत्रालय ने तब यात्रा के लिए 336 अतिरिक्त अर्धसैनिक कंपनियों को मंजूरी दी थी. इस साल ये संख्या 400 तक रहने का अनुमान है. तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सैनिकों की तैनाती पठानकोट-जम्मू और जम्मू श्रीनगर, जम्मू बेस कैंप और नेशनल हाईवे सहित संवेदनशील क्षेत्रों में की जाएगी. जम्मू कश्मीर में बीते कुछ समय से आम नागरिकों की गोली मारकर हत्या करने के मामले बढ़े हैं. सुरक्षाबलों का कहना है कि ये हथियार ड्रोन के जरिए सीमा पार से यहां लाए जाते हैं.