किसान की मौत के जिम्मेदार आयोजनकर्ता, दंडाधिकारी जांच की आई रिपोर्ट…

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इस बीच कई किसानों के गिरफ्तारी की भी खबर है आई है।
बताया जा रहा है कि धरने के दौरान किसान की पीएम रिपोर्ट आने के बाद मौत को आधार बनाकर किसानों एनआरडीए परिसर में 111 दिनों से किसान धरने पर बैठे हैं। ग्रामीण सियाराम पटेल की मौत की दंडाधिकारी जांच में भी बिना अनुमति धरना को समाप्त करने की अनुशंसा की गयी है।

किसान की मौत के जिम्मेदार आयोजनकर्ता, दंडाधिकारी जांच की रिपोर्ट आई

किसान नेता राकेश टिकैत के आने के दो दिन पहले पुलिस ने नवा रायपुर के एनआरडीए ऑफिस के सामने धरने पर बैठे किसानों पर बड़ी कार्रवाई की है। आधी रात साढ़े 3 बजे दल-बल के साथ मौके पर पहुंची पुलिस ने किसानों के टेंट हटाए।महीने किसान आंदोलन के दौरान मृत हुए किसान की दंडाधिकारी जांच रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट में किसान की मौत के लिए आयोजनकर्ताओं की लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैए को माना गया है। साथ ही रिपोर्ट में आंदोलन समाप्त करने की अनुशंसा की गई है। जांच समिति का कहना है कि शासन की अनुमति के बिना चल रहे इस किसान आंदोलन को तत्काल बंद करना चाहिए।

गौरतलब है कि 11 मार्च को नवा रायपुर में किसानों के आंदोलन के दौरान किसान सियाराम पटेल की मृत्यु हो गई। नवा रायपुर प्रभावित किसान कल्याण समिति द्वारा अपनी आठ सूत्री मांगों को लेकर इस साल तीन जनवरी से हड़ताल की जा रही थी। शासन के अनुसार किसानों की आठ सूत्री मांगों में से छह मांगें पूरी कर ली गई है।

दंडाधिकारी जांच में यह बात भी सामने आई कि प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार से अनुमति नहीं थी। नवा रायपुर कल्याण समिति के पदाधिकारियों व अध्यक्ष द्वारा आंदोलन की विधिवत अनुमति नहीं ली गई और नवा रायपुर में प्रचार-प्रसार कर हजारों की संख्या में किसानों को लाया गया। साथ ही आंदोलन में शामिल होने के लिए किसानों के लिए पंडाल,पेयजल व स्वास्थ्य सुविधा आदि की व्यवस्था भी नहीं थी।

जांच रिपोर्ट के अनुसार जब रैली में शामिल लोगों द्वारा प्रशासन द्वारा लगाए गए काउंटर पर अपने आवेदन दिए जाने लगे तो आयोजकों द्वारा जनसमुदाय को आवेदन जमा करने से रोका गया। मृतक किसान सियाराम पटेल भी उन्हीं लोगों में शामिल थे, जो समिति के विरोध के बाद भी काउंटर में आवेदन जमा करने पहुंचे था।
21 लोगों से लिए गए बयान जांच अधिकारी एनआर साहू के नेतृत्व में संयुक्त कलेक्टर डा. सुभाष सिंह राज और डिप्टी कलेक्टर अतुल विश्वकर्मा द्वारा उक्त जांच की गई। दंडाधिकारी जांच के दौरान कुल 21 लोगों के बयान लिए गए। साथ ही संबंधित दस्तावेजों के साथ ही सभी बिंदुओं पर जांच हुई।

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