NHIDC के निदेशक अंशु मनीष ने कहा कि मज़दूरों (Uttarkashi Tunnel 40 Workers Stuck) को बाहर निकालने में अभी 50 घंटे और लग सकते हैं. इस बीच सुरंग में फंसे मज़दूरों से वॉकी टॉकी के ज़रिए बातचीत की जा रही है.
नई दिल्ली:
उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग (Uttarkashi Tunnel Collapses) में पिछले चार दिनों से फंसे 40 मज़दूर अब तक ज़िंदगी की जंग लड़ रहे हैं. वायुसेना के विमान के ज़रिए दिल्ली से लाई गई अमेरिकी ड्रिलिंग मशीन सुरंग में फिट की गई है. ड्रिलिंग का काम अब जल्द शुरू हो जाएगा. वहीं दूसरी तरफ सिल्क्यारा सुरंग से मलबा हटाने की कोशिशें जारी हैं.
भारी-भरकम विशाल मशीन को दिल्ली से दो हर्कुलस सी-130 विमान से उत्तरकाशी तक लाया गया. यह मशीन तीन पार्ट में थी. जिसे असेंबल कर काम शुरू किया जा रहा है.इस बीच NHIDC के निदेशक अंशु मनीष ने कहा कि मज़दूरों को बाहर निकालने में अभी 50 घंटे और लग सकते हैं. इस बीच सुरंग में फंसे मज़दूरों से वॉकी टॉकी के ज़रिए बातचीत की जा रही है.
एक पाइप के ज़रिए उन तक लगातार ऑक्सीजन, पानी, दवाइयां और खाने का सामान पहुंचाया जा रहा है. ऐसे में मज़दूरों को निकालने के लिए दूसरी कोशिश के तहत देहरादून से एक मीटर मोटे स्टील के जो पाइप मंगाए गए थे
पाइपों को मलबे में ड्रिल करने वाली पहली कोशिश नाकाम हो गई. इसके बाद अब दिल्ली से ज्यादा बड़ी मशीन उत्तरकाशी भेजी गई है, जिसे वायुसेना के हर्क्युलिस विमान से आज उत्तरकाशी पहुंचाया गया. यह मशीन अब सुरंग के पास पहुंच चुकी है. यह मशीन स्टील के पाइपों को मलबे से होकर दूसरे छोर पर मज़दूरों तक पहुंचाने का काम करेगी. ये मशीन एक घंटे में पांच मीटर तक ड्रिल कर सकती है. क़रीब पचास से साठ मीटर मलबे के उस ओर मज़दूर फंसे हुए हैं. ऐसे में अगले कुछ घंटों में मज़दूरों को राहत मिलने की उम्मीद है.