इंटरनेशनल डे ऑफ बुक के नाम से,लोगों को शिक्षा के प्रति अग्रसर करने, बुक पढ़ने, लिखने, ट्रांसलेट, पब्लिशिंग नालेज के लिए बुक के महत्व को दर्शाने के लिए 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया…

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किताबों को तुम जितना ज्यादा समय दोगे , वो तुम्हें उससे कही ज्यादा नाम सम्मान देगी,खाली समय बर्बाद ना करो ,जब भी टाइम मिले समय समय पर किताबों को याद कर लिया करो ,समय अमूल्य धरोहर है तो इसे बेकार खराब ना करो, पुस्तक से अच्छी दोस्त कोई और नही, पुस्तक से अच्छा कोई और नहीं, पुस्तक की दोस्ती हमेशा खुशी देगी ,पुस्तक ज्ञान की भंडार है, पुस्तक बिना सारा जीवन बेकार है!

‘विश्व पुस्तक दिवस’ में हर साल 23 अप्रैल को दुनियाभर में विश्व पुस्तक दिवस World Book Day मनाया जाता हैपुस्तकों का दिन 23 अप्रैल लोगो को इसका फायदा और इसे जुड़ी जानकारी को जागरूक करना उन्हे हमेशा शिक्षित बनाने के लिए निरंतर प्रयास करें और जरूरत मंद लोगो को पुस्तकों का भेट दे जिसे आगे भी लोग इसी प्रकार पुस्तक का सही उपयोग कर सकेंगे विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल को इंटरनेशनल डे ऑफ बुक के नाम से मनाया जाता है! इंटरनेशनल पुस्तक दिवस को लोगों को शिक्षा के प्रति अग्रसर करने और बुक पढ़ने, लिखने, ट्रांसलेट, पब्लिशिंग नालेज के लिए बुक के महत्व को दर्शाने के लिए 23 अप्रैल को खास तौर पर मनाया जाने लगा है वर्ल्ड बुक डे का आयोजन हर साल किया जाता है

यूनाइटेड नेशंस एजुकेशन साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गनाइजेशन के द्वारा एक आयोजन,अयोजित किया जाता है

विश्व पुस्तक दिवस की शुरुआत: इसकी शुरूआत यूनेस्को ने किया था ! और फिर 23 अप्रैल को इंटरनेशनल पुस्तक दिवस मनाया जानें लगा और हर साल एक इवेंट आयोजित किया करती है यूनेस्को और सबसे पहली बार वर्ल्ड पुस्तक दिवस सन् 1995 को मनाया गया था ! यूनेस्को ने जितने भी साहित्यकार लेखकों के लिए जो की विलियम शेक्सपीयर, मिगुएल डे सर्वेटिस जोसेप प्लाया जैसे इत्यादि साहित्यकारों को आदर सम्मान देने के लिए ही 23 अप्रैल को चुना गया इस दिन पर कितने प्रमुख महान लेखकों का या तो इनका इस दिन जन्म हुआ़ या इस दिन उनकी मृत्यु हुई थी ! जिसमें विलियम शेक्सपीयर, मिगुएल डे सर्वेट्स और जोसेप प्याला का इस दिन मृत्यु हुई थी और मैनुएल मौरिस द्रुन आदि लेखकों का इस दिन जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को उनको 23 अप्रैल को इस सभी लेखकों को श्रृद्धांजलि दिया जाए इस लिए इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रुप में मनाया जानें लगा !

युवाओं का पुस्तकों के प्रति रूचि जागृति हो इसी उद्देशय से पुस्तके बाटी जाती है

सन् 1922 में एक स्पेनिश लेखक विसेंट क्लेव एंड्रेस ने मिगुएल सर्वेटिस को याद करने और उन्हें सम्मान देने के उद्देश्य से प्रयोग किया गया था….

सन् 1995 मैं 23 अप्रैल को पेरिस में आयोजित यूनेस्को के द्वारा साधारण सी सभा के लिए एक सामान्य पसंद थी की इस दिन पुस्तकों और दुनियां भर के सभी साहित्यकारों को विषेश रूप से  श्रद्धांजलि अर्पित किया जाय और जो पुस्तकों से दूर है उन्हे पुस्तक तक लाया जाए और पुस्तक पढ़ने में प्रोत्साहित किया जाए और पुस्तक की अहमियत के बारे लोगो को जानकारी मिले व उन्हें पुस्तकों के प्रति रूचि जागृति हो 

इस दिन का यही उद्देशय है कही कही पर पुस्तके बाटे जाती है,

तो कही पे प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग भाषण देते है या पुस्तक पर निबंध जैसे आदि की प्रतियोगिता के द्वारा इस दिन को विषेश बनाया जाता है,

स्पेन में इस दिन पर दो दिनों के लिए रीडिंग मैराथन का प्रोग्राम आयोजित किया जाता है

इस दिन पर प्रत्येक स्कूल कालेजों में लेखन प्रतियोगिता रखी जाती है पुस्तकें सबसे अच्छी दोस्त होती है, ना ही इसकी कोई शिकायत होती है , और ना ही कोई डिमांड, जितना इसके करीब जाओगे बस कुछ ना कुछ सीखते ही जाओगे , अगर प्यार करना है तो पुस्तक से करो ,वो बिना कुछ लिए बस देती जायेगी ! 

पुस्तक हमारी ज़िन्दगी का सबसे ज़रूरी पार्ट होता है इसकी जानकारी से फायदा ही फायेदा है न कि नुकसान

पुस्तक दिवस के महत्व : पुस्तक दिवस समारोह से लोगों का पुस्तको पर ध्यान केंद्रित करना ! जगह जगह से लोग इसमें सम्मिलित हो इस बात की जागरूकता फैलाये

पुस्तक मेला का आयोजन करना भी एक तरह से लोगो को पुस्तक के प्रति प्रेरित करना ही होगा उनको अपनी मनचाही पुस्तकें मेला के माध्यम से जोड़े जाने की बेहतरीन पहल है

जो मजबूर है उनको सही तरीके से पुस्तके उपलब्ध करवाना ताकि वो अपनी जानकारी आसानी से हासिल कर सकें पुस्तक दिवस के माध्यम  जरूरत मंद को इसे पुस्तकें भी आसानी से मिल जाती है

लोग अशिक्षित कम होंगे और पूरा देश शिक्षित होगा शिक्षित होने पर लोगो को पुस्तकों का ज्ञान बढेगा और किताबों की अहमियत पता चलेगी  

पुस्तकों का दिन 23 अप्रैल लोगो को इसका फायदा और इसे जुड़ी जानकारी को जागरूक करना, उन्हे हमेशा शिक्षित बनाने के लिए निरंतर प्रयास करें और जरूरत मंद लोगो को पुस्तकों का भेट दे, जिसे आगे भी लोग पुस्तक के प्रति अपनी रूचि ख़त्म न होने दे

किताब हर व्यक्ति का सच्चा, विनम्र, उत्साही, साथी होता है. ये सच बोलना और पढना सिखाती

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