FOURTHPILLARSNEWS DESK-SHIRIN SIDDIQUI
भारत में हर वर्ष अनगिनत लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं और इनमें से कई समय पर इलाज न मिल पाने के कारण जान से हाथ धो बैठते हैं . अनेक मामलों में ये देखा गया है कि दुर्घटना स्थल के पास मौजूद निजी अस्पताल द्वारा घायल का इलाज करने के लिए इस लिए मन कर दिया जाता है कि घायल व्यक्ति के इलाज का पैसा कौन देगा या क्या उसका परिवार इलाज का ख़र्च उठा पायेगा ? दुर्घटना के बाद का एक घंटा घायल के इलाज की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होता है जिसे “गोल्डन आवर” कहा जाता है . यदि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को पैसे न होने पर भी समय रहते सही उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचायी जा सकती है .
विगत दिनों फ़रीदाबाद में सड़क सुरक्षा पर आयोजित एक कार्यक्रम में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव अनुराग जैन ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि , अगले तीन से चार माह के भीतर सरकार एक महत्वपूर्ण योजना शुरू करने जा रही है जिसके तहत सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों का निःशुल्क उपचार किया जाएगा . इस “कैशलेस उपचार” की सीमा 3 लाख रुपए होगी .इस योजना पर विगत तीन वर्षों से काम हो रहा था . सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण यानी नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी की इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी है . विदित हो कि ,राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा ही वर्तमान में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना संचालित की जा रही है .
इस योजना में केंद्र के अलावा राज्य सरकारें भी अपना सहयोग देंगी . कुछ समय पूर्व तक ये सहायता राशि 2 लाख 50 हज़ार रूपए थी जिसे बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दिया गया है .इसके लिए वाहन स्वामी को एक निश्चित राशि प्रीमियम के रूप में देनी होगी .सड़क दुर्घटना में घायल लोगों का इलाज करने वाले अस्पतालों को विशेष पैकेज के तहत ये राशि जारी की जाएगी .अस्पतालों को , घायलों के लिए दी जाने वाली राशि की प्रक्रिया आयुष्मान योजना जैसी ही होगी जिसके तहत इलाज के लिए 5 लाख तक की राशि दिए जाने का प्रावधान है और इस योजना के अंतर्गत देश के क़रीब 20 हज़ार अस्पताल पंजीकृत हैं .