वाराणसी के 126 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा को राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाजा गया। राष्ट्रपति भवन में जब शिवानंद के नाम की घोषणा हुई तो वह बड़ी ही फुर्ती के साथ वह अपनी कुर्सी से उठे और नंगे पैर तेजी से चलते हुए मंच की तरफ बढ़े, शिवानंद बाबा सबसे पहले काशी के सांसद और पीएम नरेंद्र मोदी के सामने शीश झुकाया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी भी कुर्सी से उठकर स्वामी शिवानंद के आगे सम्मान में झुक गए और उन्हें प्रणाम किया। ये है हमारे पुरखों का सरल सौम्य वयवहार जो मिसाल कायम करता है
आइये जानते है योग गुरु स्वामी शिवानंद बाबा कौन है, और उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड क्यों मिला
स्वामी शिवानंद को भारतीय जीवन पद्धति और योग के के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान दिया गया है
राष्ट्रपति भवन में 126 साल के शिवानंद बाबा ने अपनी फुर्ती से सबको चौंका दिया। स्वामी शिवानंद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने भी घुटनों पर बैठ गए, लेकिन राष्ट्रपति कोविंद ने उन्हें झुककर उठाया। वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित कबीर नगर कॉलोनी में रहने वाले शिवानंद बाबा के आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक उनकी जन्मतिथि 1896 है। जिसके मुताबिक वे दुनिया के सबसे बुजुर्ग आदमी है। बाबा की तरह बाबा की दिनचर्या भी अद्भुत है। मौसम चाहें कुछ भी हो बाबा हर रोज सुबह 3 बजे उठते है। जिसके बाद कुछ देर तक योग करते है और ध्यान लगाते है। इसके बाद वे पूजा-पाठ करते है, जिसके बाद वे अपना खाना खाते है। शिवानंद बाबा के खाने में न कोई फल या दूध शामिल होता है बल्कि कम नमक वाला उबला खाना खाते है। जिसके बदौलत वे आज भी स्वास्थ्य है और ज़िन्दगी की हर सुबह का स्वागत कर रहे है।
बाबा शिवानंद का जन्म 1896 में हुआ था। वह बंगाल से काशी पहुंचे। यहां उन्होंने गुरु ओंकारानंद से शिक्षा ली। 6 साल की उम्र बहन, मां और पिता की मौत एक महीने के अंदर ही हो गई। वह बताते हैं कि भूख की वजह से उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने मोहवश माता-पिता को मुखाग्नि देने से ही इनकार करते हुए उन्हें चरणाग्नि ही दी।
34 साल तक भ्रमण करते रहे, शिवानंद बाबा अमेरिका, यूरोप, आस्ट्रेलिया, रूस आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं, बाबा शिवानंद हमरे समाज की वोह मिसाल है जो हीरे के समान सदा चमकता रहेगा
हम सब कुछ बदल सकते हैं, लेकिन पूर्वज नहीं। हम उन्हें छोड़कर इतिहास बोध से कट जाते हैं और इतिहास बोध से कटे समाज जड़ों से टूटे पेड़ जैसे सूख जाते हैं। बुज़ुर्ग हमारी ज़िन्दगी की हरियाली हैं ।