मुख्यमंत्री ने अभियंता दिवस की शुभकामनाएं दी

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रायपुर, 14 सितम्बर 2023/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अभियंता दिवस के अवसर पर सभी इंजीनियरों को बधाई और शुभकामनाएं दी है। अपने शुभकामना संदेश में उन्होंनेे कहा कि भारत के महान इंजीनियर भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की स्मृति में उनके जन्मदिन 15 सितम्बर को अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारतरत्न सर डॉ। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस को अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

उन्होंने अपनी असाधारण दृष्टि और प्रतिभा से भारत में इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया। उन्हें आधुनिक भारत के विश्वकर्मा के रूप में बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र और राज्य के निर्माण में इंजीनियरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सर विश्वेश्वरैया की कार्य के प्रति निष्ठा और समर्पण सबके लिए प्रेरणादायक और अनुकरणीय है।

भारत में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को अभियंता दिवस यानि इंजीनियर डे मनाया जाता है। सबसे उत्कृष्ट अभियंता सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की याद में हर साल 15 सितंबर को “अभियंता दिवस” का आयोजन किया जाता है। 149 साल पहले इसी दिन विकास और इंजीनियरिंग के लिए इस महान योगदानकर्ता का जन्म हुआ था। भारत सरकार द्वारा 1968 ई। में डॉ। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जन्म तिथि को ‘अभियंता दिवस’ घोषित किया गया था।

अभियंता (इंजीनियर) वह व्यक्ति है जिसे अभियाँत्रिकी की एक या एक से अधिक शाखाओं में प्रशिक्षण प्राप्त हो अथवा जो कि व्यावसायिक रूप से अभियाँत्रिकी सम्बन्धित कार्य कर रहा हो।

कभी कभी इन्हे यंत्रवेत्ता भी कहा जाता है। हर साल अभियंता दिवस का उत्सव एक केंद्रीय विषय के चारों ओर घूमता है जो सभी राज्यों और स्थानीय केंद्रों को सूचित किया जाता है। आज भी मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत के विश्वकर्मा के रूप में बड़े सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है।

अभियन्ता दिवस का इतिहास
भारतरत्न सर डॉ। मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस को अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ। विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर में 15 सितम्बर 1861 को हुआ था। गरीब परिवार में जन्मे विश्वेश्वरैया ने देश ही नहीं, दुनियाभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारतरत्न से सम्मानित किया गया।

  • उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी हुआ। विश्वेश्वरैया का बिहार से गहरा नाता है। राजधानी में उनके नाम से विश्वेश्वरैया भवन भी है। पटना जिले के हाथीदा के पास बना राजेंद्र सेतु इसी कर्मयोगी की जीवटता की मिसाल है। वे 92 साल की उम्र में भी साइकल से पुल निर्माण के काम के लिए जाया करते थे।
  • संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने लगभग दो किलोमीटर लंबे इस पुल के सपने को साकार कर दिखाया। यह दोमंजिला पुल गंगा नदी पर बना बिहार का रेल सह सड़क पुल है, जो उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ता है। डॉ विश्वेश्वरैया ने जल वितरण, सड़कों, संचार व सिंचाई के लिए सैकड़ों परियोजनाएं बनाईं।
  • जिंदगी में हर कदम पर उन्होंने समय की पाबन्दी पर पूरा ध्यान रखा। उन्हें हर समय के सबसे महान इंजीनियर के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने दृष्टिकोण और समर्पण के साथ भारत में कुछ असाधारण योगदान दिया। उनके योगदान के कारण उन्हें वर्ष 1955 में भारत के सर्वोच्च राज्य पुरस्कार, “द भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।

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