महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए नया दत्तक ग्रहण विनियम 2022 राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया..

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25 नवम्बर 2022 को बच्चों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। इस आधार पर प्रक्रिया को सरल बनाने और उसमें तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए नया दत्तक ग्रहण विनियम 2022 बनाया गया है। इसमें जिला दण्डाधिकारी (जिला कलेक्टर) को दत्तक ग्रहण का उत्तरदायित्व और आदेश का अधिकार दिया गया है।

विनियम में जिला बाल संरक्षण इकाई की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बनाया गया है।

कार्यशाला का आयोजन नई दिल्ली, राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया गया था।

कार्यशाला में राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तेजकुंवर नेताम, ने कहा कि बच्चों को दत्तक देना और लेना दोनों ही महत्वपूर्ण और जिम्मेदारी का काम है, जिसे पूरी संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि नये विनियम के अनुसार अब कलेक्टरों के पास अधिकार हैं। सभी दत्तक ग्रहण की प्रक्रियाओं को जल्दी पूरा करने का प्रयास करें, जिससे बच्चों का भविष्य संवर सके।

छत्तीसगढ़ में संस्थाओं में रह रहे बच्चों की सुरक्षा और देखरेख के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

उन्होंने बच्चों के लिए उचित लालन-पालन और शिक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए शिक्षकों, पालकों और समाज के नागरिकों से बच्चों के भविष्य को सही दिशा देने का आव्हान किया।

कारा के प्रतिनिधि मनीष त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों को समाज की मुख्य धारा में लाना और परिवार देना विनियम दत्तक ग्रहण कानून का मुख्य उद्देश्य है।

हिन्दु दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम 1956 (हामा) में आवश्यक संशोधन किये गए हैं।

दत्तक ग्रहण में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है, इसलिए उन्हें भी कार्यशाला में प्रमुख रूप से शामिल किया गया।

संचालक दिव्या मिश्रा ने कहा कि दत्तक ग्रहण का काम संवेदनशीलता और ममत्व से जुड़ा है इसलिए ऐसे बच्चे जिनके पास परिवार नही हैं और जिन्हें देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है, उसकी योजना को मिशन वात्सल्य का नाम दिया गया है। दत्तक ग्रहण के लिए काम करते समय हम सब में मॉ की तरह अभिभावक की भावना और स्नेह होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के दत्तक ग्रहण में तेजी लाने के लिए कलेक्टरों का संवेदीकरण भी जरूरी है।

उन्हें बताया गया कि बच्चों की मेडिकल एक्जामिनेशन रिपोर्ट ध्यान से बनाया जाना चाहिए।

बच्चों की दिव्यांगता या बीमारी का पहले से पता रहने पर परिवार विखण्डन से बच सकता है। कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य बताते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक श्री नंदलाल चौधरी ने कहा कि दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाने और इसमें लगने वाले समय को कम करने के लिए नये विनियम में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। बच्चे को जल्दी जैविक या विधिक परिवार मिले। यह विनियम का प्रमुख उद्देश्य है। समय से बच्चे को परिवार और देखरेख देने से उसका भविष्य संवर सकता है।

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