पुरानी बस्ती के महामाया मंदिर में नवरात्र पर लगभग 10 हजार प्रज्जवलित जोत की रखवाली करने के लिए 100 से ज्यादा सेवादार हर साल आते हैं।
खास बात यह है कि ये सेवादार राजधानी के समीप भाठागांव और जामगांव के निवासी है। पिछली चार पीढ़ी से सेवादार लगातार सेवा दे रहे हैं। युवा सेवादार बताते हैं कि पहले उनके पिता, दादा, परदादा सेवा करते थे, अब कुछ साल से वे लोग अनुभवी सेवादारों के साथ सेवा दे रहे हैं।
भाठागांव निवासी 65 वर्षीय अगनू साहू बताते हैं कि वे 45 सालों से लगातार प्रत्येक नवरात्र पर महामाया मंदिर में सेवा देते आ रहे हैं। मुझसे पहले मेरे पिता और दादा भी सालों तक जोत सेवा कर चुके हैं। 60 वर्षीय बल्ला साहू बताते हैं कि वे 40 साल से लगातार सेवा देते आ रहे हैं। अन्य सेवादारों में टेटकू साहू, घनश्याम ठाकुर, रेखराम सिन्हा, सहदेव सिन्हा, तुकाराम चंद्राकर, लक्ष्मीनारायण, रामानंद यादव, यशवंत विशेषर, चंद्रशेखर ठाकुर बताते हैं कि वे भी चार पीढ़ी से सेवा दे रहे हैं। युवा रामानंद ने बताया कि मुझसे पहले पिता, चाचा, दादा, परदादा भी सेवादार रह चुके हैं।
नवरात्र के दौरान मंदिर में ही गुजारते है 15 दिन
100 से ज्यादा सेवादारों ने आठ-आठ घंटे का समय तय कर रखा है। इस बीच वे जोत कक्ष के बाहर ही तैनात रहते हैं। नवरात्र से तीन दिन पहले मंदिर पहुंच जाते हैं। नवरात्र खत्म होने के बाद जोत का विसर्जन, जोत कक्षों की सफाई, तांबे के कलशों की सफाई करके अपने द्यरों की ओर रवाना होते हैं। इस तरह ये सेवादार 15 दिन मंदिर में ही रहते हैं।
सेवादारों के मुख्य कार्य नवरात्र के दौरान मंदिर में ही गुजारते है 15 दिन पूरी भावना के साथ
- नवरात्र से पहले जोत कलश को क्रमवार सजाना
- 10 हजार जोत प्रज्ज्वलित करना
- 24 घंटे जोत कक्ष की निगरानी
- जोत की बाती काटना, दूसरी बाती लगाना
- तेल की मात्रा कम न होने देना
- अंतिम दिन विसर्जन करना
- कलशों को अच्छे तरह से धोकर रखना
- जोत कक्ष को गोबर से लीपकर शुद्ध किया जाता है
- तपते हाल में जोत सेवा की जाती है
- महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला ने बताया कि मंदिर में आठ से 10 हाल में डेढ़ से दो हजार जोत प्रज्जवलित होती है। हाल इतना गरम रहता है कि भीतर ठहरना भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन मातारानी की कृपा से ये सेवादार बढ़े हुए तापमान में सेवा देते हैं।